।। श्रीहरिः ।।
गीताजीकी महीमा
  1. गीता उपनिषदोंका सार है । पर वास्तवमें गीताकी बात उपनिषदोंसे भी विशेष है । कारणकी अपेक्षा कार्यमें विशेष गुण होते है; जैसे— आकाशमें केवल एक गुण 'शब्द' है, पर उसके कार्य वायुमें दो गुण 'शब्द और स्पर्श' हैं ।
  2. वेद भगवान् के निःश्वास है और गीता भगवान् की वाणी है । निःश्वास तो स्वाभाविक होते है, पर गीता भगवान् ने योगमें स्थित होकर कही है । अतः वेदोंकी अपेक्षा भी गीता विशेष है ।
  3. सभी दर्शन गीताके अर्न्तगत है, पर गीता किसी दर्शनके अर्न्तगत नहीं है । दर्शनशास्त्रमें जगत क्या है, जीव क्या है और ब्रह्म क्या है— यह पढाई होती है । परन्तु गीता पढाई नहीं कराती, प्रत्युत अनुभव कराती है ।
  4. गीतामें किसी मतका आग्रह नहीं है, प्रत्युत केवल जीवके कल्याणका ही आग्रह है ।
  5. मतभेद गीतामें नहीं है, प्रत्युत टिकाकारोंमें है ।
  6. गीतामें भगवान् साधकको समग्रकी तरफ ले जाते हैं ।
  7. सब कुछ परमात्माके ही अर्न्तगत है, परमात्माके सिवाय किंचिन्मात्र भी कुछ नहीं है— इसी भावमें सम्पूर्ण गीता है ।
  8. गीताका तात्पर्य ‘वासुदेव सर्वंम्’ में है । सबकुछ परमात्मा ही हैं— यह खुले नेत्रोंका ध्यान है । इसमें न आँख बंद करनेकी (ध्यान) जरुरत है, न कान बंद करनेकी (नादानुसंधान) की जरुरत है, न नाक बंद करनेकी (प्राणायाम) जरुरत है ! इसमें न संयोगका असर पङता है, न वियोगका; न किसीके आनेका असर पड़ता है, न किसीके जानेका । सब कुछ परमात्मा है ही तो फिर दूसरा कहाँसे आये ? कैसे आये ?
  9. गीता कर्मयोगको ज्ञानयोगकी अपेक्षा विशेष मानती है, कारणकी ज्ञानयोगके बिना तो कर्मयोग हो सकता है (गीता ३/२०), पर कर्मयोगाके बिना ज्ञानयोग होना कठिन है (गीता ५/६) ।
  10. अतः साधकोंको चाहिये कि वे अपना कोई आग्रह न रखकर परम् पूज्य स्वामीजी महाराजजी द्वारा लिखवाइ हुई श्रीगीताजीकी टीका साधक-संजीवनी, गीता-प्रबोधनी एवं गीता माधुर्य पढ़ें और इसपर गहरा विचार करें तो वास्तविक तत्व उनकी समझमें आ जायगा और जो बात टीकामें नहीं आयी है, वह भी समझमें आ जायेगी ! — ऐसा स्वामीजी महाराजका भाव है । अतःसभी साधकोंकी सेवामें श्रीस्वामीजी महाराजका गीताप्रेस-गोरखपुरसे प्रकाशित कल्याणकारी साहित्य एवं 1991 से 2005 के अन्तीम् प्रवचन इन्टरनेट पर उपलब्ध है, उसका लाभ उठाकर मनुष्य जन्म सफल बनायॅ ।
  11. सदा हृदयसे...आर्तभावसे पुकारते रहो......हे नाथ ! हे मेरे नाथ ! मैं आपको भूँलूँ नहीं !!

-साधक-संजीवनी परिशिष्टके नम्र निवेदनसे संकलित

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