।। श्रीहरिः ।।

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आजकी शुभ तिथि–
मार्गशीर्ष शुक्ल त्रयोदशी, वि.सं.–२०७०, रविवार
मुक्तिका रहस्य
 

  हम सबके अनुभवकी बात है कि जब गाढ़ नींद आती है, तब कुछ भी याद नहीं रहता । रुपये, पदार्थ, कुटुम्ब, जमीन, मकान आदि कुछ भी याद नहीं रहता । ऐसी स्थितिमें हमें कोई दुःख होता है क्या ? गाढ़ नींदमें किसी भी प्राणी-पदार्थका सम्बन्ध न रहनेपर भी हमें दुःख नहीं होता अपितु सुख ही होता है । इससे सिद्ध हुआ कि संसारके सम्बन्धसे सुख नहीं होता । अभी आप सोचते हैं कि हमें धन मिल जाय, ऊँचा पद मिल जाय, मान-बड़ाई मिल जाय, भोग मिल जाय, आराम मिल जाय तो हम सुखी हो जायँगे । विचार करें कि जब गाढ़ निद्रामें किसी भी प्राणी-पदार्थसे सम्बन्ध न रहनेपर भी दुःख नहीं होता, और सुख होता है तब इन वस्तुओंकी प्राप्तिसे सुख मिल जायगा क्या ? इस बातपर गहरा विचार करें ।
 
जाग्रत्‌की वस्तु स्वप्नमें और स्वप्नकी वस्तु सुषुप्तिमें नहीं रहती । तात्पर्य यह कि जाग्रत् और स्वप्नकी वस्तुओंके बिना भी हम रहते हैं । इससे सिद्ध यह हुआ कि वस्तुओंके बिना भी हम सुखपूर्वक रह सकते हैं अर्थात् हमारा रहना वस्तु, अवस्था आदिके आश्रित नहीं है । इसलिये वस्तु, पदार्थ, व्यक्ति आदिके द्वारा हम सुखी होंगे और इनके बिना हम दुःखी होंगे‒यह बात गलत सिद्ध हो गयी । जाग्रत्‌में भी अनेक पदार्थोंके बिना हम रहते हैं, पर सुषुप्तिमें तो सम्पूर्ण पदार्थोंके बिना हम रहते हैं और उससे हमें शक्ति मिलती है । अच्छी गहरी नींद आनेपर स्वास्थ्य अच्छा होता है और जगनेपर व्यवहार अच्छा होता है । नींदके बिना मनुष्यका जीना कठिन है । नींद लिये बिना उसे चैन नहीं पडता । इससे सिद्ध हुआ कि सम्पूर्ण वस्तुओंके अभावके बिना हम रह नहीं सकते । वस्तुओंका अभाव बहुत आवश्यक है । अत: अनुभवके आधारपर हमारी यह मान्यता गलत सिद्ध हो गयी कि धन, सम्पत्ति, कुटुम्ब आदिके मिलनेसे ही हम सुखी होंगे और उनके बिना रह नहीं सकेंगे ।
 
    (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒ ‘तात्त्विक प्रवचन’ पुस्तकसे