।। श्रीहरिः ।।

आजकी शुभ तिथि–
फाल्गुन शुक्ल एकादशी, वि.सं.–२०७०, बुधवार
आमलकी एकादशीव्रत (सबका)
मुक्ति सहज है


(गत ब्लॉगसे आगेका)
आप अमल हो । राग-द्वेषहर्ष-शोकअनुकूलता-प्रतिकूलताको लेकर जितने विकार हैंवे सब मल हैं । जितना मल आया हैअवस्थाओंमें आया है । जाग्रत्‌में मल आयास्वप्नमें मल आयासुषुप्तिमें मल (अज्ञान) आयापरन्तु आप तो अमल ही रहे । आप तीनों अवस्थाओंको जाननेवाले रहे । आपमें दोष नहीं है । आप दोषोंके साथ मिलकर अपनेको दोषी मान लेते हो । दोष आगन्तुक हैं और आप आगन्तुक नहीं हैं‒यह प्रत्यक्ष बात है । दोष निरन्तर नहीं रहतेपर आप निरन्तर रहते हैं । शोक-चिन्ताभय-उद्वेग,राग-द्वेषहर्ष-शोक‒ये सब आने-जानेवाले हैं और अनित्य हैं‒आगमापायिनोऽनित्या-स्तांस्तितिक्षस्व भारत’ (गीता २ । १४) । भगवान्‌ने कितनी बढ़िया बात कही कि आने-जानेवालोंको सह लोउनके साथ मिलो मत । सुख भी आने-जानेवाला हैदुःख भी आने-जानेवाला है । परन्तु आप इन आने-जानेवालोंको जाननेवाले हो ।

आप सहजसुखराशि हो । सुषुप्तिमें कोई आफत नहीं रहतीदुःख नहीं रहता । आप रुपयोंके बिना रह सकते हैं,आप भूखे-प्यासे रह सकते हैंआप सांसारिक भोगोंके बिना रह सकते हैंपर नींदके बिना नहीं रह सकते । नींदके बिना तो आप पागल हो जाओगे । इसलिये वैद्यजीसेडाक्टरसे कहते हो कि गोली दे दोताकि नींद आ जाय । नींदमें क्या मिलता है संसारके अभावका सुख मिलता है । यदि जाग्रत्-अवस्थामें संसारके अभावका ज्ञान हो जायसंसारसे सम्बन्ध-विच्छेद हो जाय तो जाग्रत्-अवस्थामें ही दुःख मिट जाय;और परमात्मामें स्थिति हो जाय तो आनन्द मिल जाय ! इसको ही मुक्ति कहते हैं ।

दुःख कहाँ है ? दुःख संसारके सम्बन्धमें है । जाग्रत् और स्वप्नमें संसारका सम्बन्ध रहता हैइसलिये शान्ति नहीं मिलती । संसारको भूल जाते होतब शान्ति मिलती है । यदि संसारका त्याग और परमात्मामें स्थिति हो जाय तो कितना आनन्द होगा ! भूलनेमात्रसे सुख मिलता है । भूलनेमात्रसे मनको ताकत मिलती हैबुद्धिको ताकत मिलती हैइन्द्रियोंको ताकत मिलती हैशरीरको ताकत मिलती है । परन्तु संसारके साथ रहनेसे मन थकता है, बुद्धि थकती हैइन्द्रियाँ थकती हैंशरीर थकता है । संसारका अभाव होता है गाढ़ नींदमें । उस नींदके बिना आप आठ पहर भी नहीं रह सकते । आजकलकी एक बात मैंने सुनी है । पहले मारपीट करके अपराधीसे सच बुलाया करते थे । परन्तु आजकल उसको नींद नहीं लेने देते तो वह सच बोल जाता है । वह जाग्रत्‌से इतना घबरा जाता है कि सच बोल जाता है । मारपीटसे वह इतनी जल्दी सच नहीं बोलता । अत: नींद नहीं लेना कोई मामूली दुःख नहीं है । नींदमें बहुत बड़ा सुख मिलता है । आप कहते हो कि ऐसे सुखसे सोया कि कुछ पता नहीं था । तो दुःख किसका है ? दुःख संसारके सम्बन्धका है । अत: आप सुखराशि हो ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘नित्ययोगकी प्राप्ति’ पुस्तकसे