।। श्रीहरिः ।।

आजकी शुभ तिथि–
चैत्र कृष्ण प्रतिपदा, वि.सं.–२०७०, सोमवार
वसन्तोत्सव (होली)
मुक्तिका सरल उपाय


(गत ब्लॉगसे आगेका)
कपड़े बदलनेसे क्या मनुष्य दर्जीका हो जाता है ऐसे ही आपने मनुष्यकेपशुकेवृक्षके कई कपड़े पहन लिये,कई शरीर धारण कर लियेपर रहे तो भगवान्‌के ही । सच्ची बात है । सच्ची बातको भी नहीं मानोगे तो किसको मानोगे ? सच्ची बात कहनेवालोंमें भी भगवान् और उनके भक्त‒इन दोनोंकी बहुत इज्जत है‒
हेतु  रहित  जग  जुग उपकारी ।
तुम्ह  तुम्हार  सेवक  असुरारी ॥
स्वारथ मीत सकल जग माहीं ।
सपनेहुँ प्रभु    परमारथ नाहीं ॥
                                                               (मानस ७ । ४७ । ३)
दोनों ही कहते हैं कि तुम परमात्माके हो । अत: इतनी-सी बात मान लो कि हम कैसे ही हैंहैं बड़े घरके ! हमारा घराना कौन-सा हैयह याद करो । हम भगवान्‌के हैं । भगवान् सब कुछ कर सकते हैंनरकोंमें भेज सकते हैंस्वर्गमें भेज सकते हैंचौरासी लाख योनियोंमें भेज सकते हैंपर यह मेरा नहीं है’ ऐसा नहीं कह सकतेनट नहीं सकते । भगवान्‌के वचन हैं‒
तानहं द्विषतः कूरान्संसोरषु नराधमान् ।
क्षिपाम्यजस्त्रमशुभानासुरीष्वेव योनिषु ॥
                                                                          (गीता १६ । १९)
उन द्वेष करनेवालेक्रूर स्वभाववाले और संसारमें महान् नीचअपवित्र मनुष्योंको मैं बार-बार आसुरी योनियोंमें गिराता ही रहता हूँ ।’ कोई पूछनेवाला हो कि महाराज ! उनको आसुरी योनियोंमेंनरकोंमें गिरानेका आपको क्या अधिकार है ? तो भगवान् यही कहेंगे कि तू पूछनेवाला कौन है वे मेरे हैं ! माँ बच्चेको स्नान कराती है तो बच्चा रोता है । आप उससे कहो कि बच्चा रो रहा हैतेरेको दया नहीं आती तो वह कहेगी कि जा-जातेरा है कि मेरा है ? ऐसे ही जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिये । सीताराम सीताराम सीताराम कहिये ॥ कितनी सीधीसरल बात है !
अस अभिमान जाइ जनि भोरे ।
मैं  सेवक  रघुपति  पति  मोरे ॥
                                                                  (मानस ३ । ११ । ११)
            जैसे धनीराजकीय आदमी होते हैंउनके मनमें एक गरमी होती है कि हम राजकीय आदमी हैं’ ! ऐसे ही आपके मनमें भी गरमी आनी चाहिये कि हम भगवान्‌के हैं’ ! भगवान् कहते हैं‒‘सब मम प्रिय सब मम उयजाए’ (मानस ७ । ८६ । २) । अत: हम भगवान्‌के हैं और भगवान्‌के भी प्यारे हैंसाधारण नहीं हैं । दुनियामें कोई आपको भला-बुरा कुछ भी कहे पर भगवान् कहते हैं कि मेरे उत्पन्न किये सब मेरेको प्यारे लगते हैं ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘नित्ययोगकी प्राप्ति’ पुस्तकसे