।। श्रीहरिः ।।

आजकी शुभ तिथि–
चैत्र शुक्ल द्वादशी, वि.सं.–२०७१, शनिवार
भगवान् और उनकी दिव्य शक्ति



 (गत ब्लॉगसे आगेका)
जैसे पुरुष और स्त्री दो होते हैंऐसे श्रीकृष्ण और श्रीजी दो नहीं हैं । ज्ञानमें तो द्वैतका अद्वैत होता है अर्थात् दो होकर भी एक हो जाता है और भक्तिमें अद्वैतका द्वैत होता है अर्थात् एक होकर भी दो हो जाता है । जीव और ब्रह्म एक हो जायें तो ‘ज्ञान’ होता है और एक ही ब्रह्म दो रूप हो जाय तो ‘भक्ति’ होती है । एक ही अद्वैत-तत्त्व प्रेमकी लीला करनेके लियेप्रेमका आस्वादन अर्थात् आनन्दित करनेके लिये,सम्पूर्ण जीवोंको प्रेमका आनन्द देनेके लिये श्रीकृष्ण और श्रीजी‒इन दो रूपोंसे प्रकट होता है* । दो रूप होनेपर भी दोनोंमें कौन बड़ा है और कौन छोटाकौन प्रेमी है और कौन प्रेमास्पद ?‒इसका पता ही नहीं चलता । दोनों ही एक-दूसरेसे बढ़कर विलक्षण दीखते हैंदोनों एक-दूसरेके प्रति आकृष्ट होते हैं । श्रीजीको देखकर भगवान् प्रसन्न होते हैं और भगवान्‌को देखकर श्रीजी । दोनोंकी परस्पर प्रेम-लीलासे रसकी वृद्धि होती है । इसीको रास कहते हैं ।

भगवान्‌की शक्तियों अनन्त हैंअपार हैं । उनकी दिव्य शक्तियोंमें ऐश्वर्य-शक्ति भी है और माधुर्य-शक्ति भी । ऐश्वर्य-शक्तिसे भगवान् ऐसे विचित्र और महान् कार्य करते हैंजिन्हें दूसरा कोई कर ही नहीं सकता । ऐश्वर्य-शक्तिके कारण उनमें जो महत्ताविलक्षणता और अलौकिकता दीखती है वह उनके सिवा और किसीमें देखने-सुननेमें नहीं आती । माधुर्य-शक्तिमें भगवान् अपने ऐश्वर्यको भूल जाते हैं । भगवान्‌को भी मोहित करनेवाली माधुर्य-शक्तिमें एक मधुरतामिठास होती हैजिसके कारण भगवान् बड़े मधुर और प्रिय लगते हैं । जब भगवान् ग्वालबालोंके साथ खेलते हैंतब माधुर्य-शक्ति प्रकट रहती है । यदि उस समय ऐश्वर्य-शक्ति प्रकट हो जाय तो सारा खेल बिगड़ जायग्वालबाल डर जायँ और भगवान्‌के साथ खेल भी न सकें । ऐसे ही भगवान् कहीं मित्ररूपसेकहीं पुत्ररूपसे और कहीं पतिरूपसे प्रकट हो जाते हैं तो उस समय उनकी ऐश्वर्य-शक्ति छिपी रहती है और माधुर्य-शक्ति प्रकट रहती है । तात्पर्य यह कि भगवान् भक्तोंके भावोंके अनुसार उन्हें आनन्द देनेके लिये ही अपनी ऐश्वर्य-शक्तिको छिपाकर माधुर्य-शक्ति प्रकट कर देते हैं ।

जिस समय माधुर्य-शक्ति प्रकट रहती हैउस समय ऐश्वर्य-शक्ति प्रकट नहीं होती और जिस समय ऐश्वर्य-शक्ति प्रकट रहती हैउस समय माधुर्य-शक्ति प्रकट नहीं होती । ऐश्वर्य-शक्ति केवल तभी प्रकट होती हैजब माधुर्यभावमें कोई शंका पैदा हो जाय । जैसेमाधुर्य-शक्तिके प्रकट रहनेपर भगवान् श्रीकृष्ण बछड़ोंको ढूँढ़ते हैंपरंतु  ‘बछड़े कहाँ गये ?’ यह शंका पैदा होते ही ऐश्वर्य-शक्ति प्रकट हो जाती है और भगवान् तत्काल जान जाते हैं कि बछड़ोंको ब्रह्माजी ले गये हैं ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘कल्याण-पथ’ पुस्तकसे
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* येयं राधा यश्च कृष्णो रसाब्धिर्देहश्चैकः क्रीडनार्थं द्विधाभूत् । ( श्रीराधातापनीयोपनिषद्)

           ‘जो ये राधा और जो कृष्ण रसके सागर हैंवे एक ही हैंपर लीलाके लिये दो रूप बने हुए हैं ।’