।। श्रीहरिः ।।

आजकी शुभ तिथि
आषाढ़ कृष्ण दशमीवि.सं.२०७१रविवार
एकादशी-व्रत कल है
आहार-शुद्धि



 (गत ब्लॉगसे आगेका)
 कुपथ्यका त्याग और पथ्यका सेवन करना तथा संयमसे रहना‒ये तीनों बातें दवाइयोंसे भी बढ़कर रोग दूर करनेवाली हैं ।

रोगीके साथ खाने-पीनेसेरोगीके पात्रमें भोजन करनेसेरोगीके आसनपर बैठनेसेरोगीके वस्त्र आदिको काममें लेने आदिसे ऐसे संकर (मिश्रित) रोग हो जाते हैं,जिनकी पहचान करना बड़ा कठिन हो जाता है । जब रोगकी पहचान ही नहीं होगी तो फिर उसपर दवा कैसे काम करेगी?

युगके प्रभावसे जड़ी-बूटियोंकी शक्ति क्षीण हो गयी है । कई दिव्य जड़ी-बूटियों लुप्त हो गयी हैं । दवाइयाँ बनानेवाले ठीक ढंगसे दवाइयाँ नहीं बनाते और पैसोंके लोभमें आकर जिस दवाईमें जो चीज मिलानी चाहियेउसे न मिलाकर दूसरी ही चीज मिला देते हैं । अतः उस दवाईका वैसा गुण नहीं होता ।

देहातमें रहनेवाले मनुष्य खेतीकापरिश्रमका काम करते हैं तथा माताएँ-बहनें घरमें चक्की चलाती हैंपरिश्रमका काम करती हैं और उनको अन्नजलहवा आदि भी शुद्ध मिलते हैंअतः उनको कुपथ्यजन्य रोग नहीं होते । परन्तु जो शहरमें रहनेवाले हैंवे शारीरिक परिश्रम भी नहीं करते और उनको शुद्धअन्नजलहवा आदि भी नहीं मिलतेअतः उनको कुपथ्यजन्य रोग होते हैं । हाँ, प्रारब्धजन्य रोग तो सबको ही होते हैंचाहे वे देहाती होंचाहे शहरी ।

मनुष्यको शास्त्रकी आज्ञाके अनुसार शुद्ध दवाइयोंका सेवन करना चाहिये । अगर कोई साधुसंन्यासीगृहस्थ रोगी होनेपर भी दवाई न ले तो इससे भी रोग दूर हो जाता हैक्योंकि दवाई न लेना भी एक तप हैजिससे रोग दूर होते हैं । जो रोगोंके कारण दुःखीअप्रसन्न रहता हैउसपर रोग ज्यादा असर करते हैं । परन्तु जो भजन-स्मरण करता है,संयमसे रहता हैप्रसन्न रहता हैउसपर रोग ज्यादा असर नहीं करते । चित्तकी प्रसन्नतासे उसके रोग नष्ट हो जाते हैं ।

प्रारब्धजन्य रोगके मिटनेमें दवाई तो केवल निमित्त मात्र बनती है । मूलमें तो प्रारब्धकर्म समाप्त होनेसे ही रोग मिटता है । जिन कर्मोंके कारण रोग हुआ हैउन कर्मोंसे बढ़कर कोई पुण्यकर्मप्रायश्चित्तमन्त्र आदिका अनुष्ठान किया जाय तो प्रारब्धजन्य रोग मिट जाता है । परन्तु इसमें प्रारब्धके बलाबलका प्रभाव पड़ता है अर्थात् प्रारब्धकी अपेक्षा अनुष्ठान प्रबल हो तो रोग मिट जाता है और अनुष्ठानकी अपेक्षा प्रारब्ध प्रबल हो तो रोग नहीं मिटता अथवा थोड़ा ही लाभ होता है ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘आहार-शुद्धि’ पुस्तकसे