।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
श्रावण कृष्ण प्रतिपदावि.सं.२०७१रविवार
देवता कौन ?



(गत ब्लॉगसे आगेका)
 प्रश्न‒ये अधिष्ठातृदेवता क्या काम करते हैं ?

उत्तर‒ये अपने अधीन वस्तुकी रक्षा करते हैं । जैसे,कुएँका भी अधिष्ठातृदेवता होता है । यदि कुआँ चलानेसे पहले उसके अधिष्ठातृदेवताका पूजन किया जायउसको प्रणाम किया जाय अथवा उसका नाम लिया जाय तो वह कुएँकी विशेष रक्षा करता है, कुएँके कारण कोई नुकसान नहीं होने देता । ऐसे ही वृक्ष आदिका भी अधिष्ठातृदेवता होता है । रात्रिमें किसी वृक्षके नीचे रहना पड़े तो उसके अधिष्ठातृदेवतासे प्रार्थना करें कि ‘हे वृक्षदेवता ! मैं आपकी शरणमें हूँआप मेरी रक्षा करें’ तो रात्रिमें रक्षा होती है ।

जंगलमें शौच जाना हो तो वहाँपर ‘उत्तम भूमि मध्यम काया, उठो देव मैं जंगल आया’ऐसा बोलकर शौच जाना चाहियेनहीं तो वहाँ रहनेवाले देवता तथा भूत-प्रेत कुपित होकर हमारा अनिष्ट कर सकते हैं ।

वर्तमानमें अधिष्ठातृदेवताओंका पूजन उठ जानेसे जगह-जगह तरह-तरहके उपद्रव हो रहे हैं ।

प्रश्न‒भूतप्रेतपिशाच आदिको भी देवयोनि क्यों कहा गया है ? जैसे‒‘विद्याधराप्सरोयक्षरक्षोगन्धर्व- किन्नराः । पिशाचो गुह्यकः सिद्धो भूतोऽमी देवयोनयः ॥’ (अमरकोष १ । १ । ११)

उत्तर‒हमलोगोंके शरीरोंकी अपेक्षा उनका शरीर दिव्य होनेसे उनको भी देवयोनि कहा गया है । उनका शरीर वायुतत्त्वप्रधान होता है । जैसे वायु कहीं भी नहीं अटकती,ऐसे ही उनका शरीर कहीं भी नहीं अटकता । उनके शरीरमें वायुसे भी अधिक विलक्षणता होती है । घरके किवाड़ बंद करनेपर वायु तो भीतर नहीं आतीपर भूत-प्रेत भीतर आ सकते हैं । तात्पर्य है कि पृथ्वीतत्त्वप्रधान मनुष्यशरीरकी अपेक्षा ही भूत-प्रेत आदिको देवयोनि कहा गया है ।

प्रश्न‒मातापिता आदिको देवता क्यों कहा गया है;जैसे ‘मातृदेवो भव’ आदि ?

उत्तर‒‘मातृदेवो भव’ आदिमें ‘देव’ नाम परमात्माका है । अतः मातापिता आदिको साक्षात् ईश्वर मानकर निष्कामभावसे उनका पूजन करनेसे परमात्माकी प्राप्ति हो जाती है ।

प्रश्न‒देवताओंको कौन-से रोग होते हैंजिनका इलाज अश्विनीकुमार करते हैं ?

उत्तर‒हमारे शरीरमें जैसे रोग (व्याधि) होते हैंवैसे रोग देवताओंको नहीं होते । देवताओंको चिन्ताभयईर्ष्या,जलन आदि मानसिक रोग (आधि) होते हैं और उन्हींका इलाज अश्विनीकुमार करते हैं ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘कल्याण-पथ’ पुस्तकसे