।। श्रीहरिः ।।

आजकी शुभ तिथि
श्रावण अमावस्यावि.सं.२०७१शनिवार
कर्म-रहस्य



 (गत ब्लॉगसे आगेका)
 पैसे तो काम करनेसे ही मिलते हैंपरन्तु बिना मालिकके पैसा देगा कौन यदि कोई जंगलमें जाकर दिनभर मेहनत करे तो क्या उसको पैसे मिल जायँगे नहीं मिल सकते । उसमें यह देखा जायगा कि किसके कहनेसे काम किया और किसकी जिम्मेवारी रही ।

अगर कोई नौकर कामको बड़ी तत्परताचतुरता और उत्साहसे करता है पर करता है केवल मालिककी प्रसन्नताके लिये तो मालिक उसको मजदूरीसे अधिक पैसे भी दे देता है और तत्परता आदि गुणोंको देखकर उसको अपने खेतका हिस्सेदार भी बना देता है । ऐसे ही भगवान् मनुष्यको उसके कर्मोंके अनुसार फल देते हैं । अगर कोई मनुष्य भगवान्‌की आज्ञाके अनुसारउन्हींकी प्रसन्नताके लिये सब कार्य करता हैउसे भगवान् दूसरोंकी अपेक्षा अधिक ही देते हैंपरन्तु जो भगवान्‌के सर्वथा समर्पित होकर सब कार्य करता हैउस भक्तके भगवान् भी भक्त बन जाते हैं !* संसारमें कोई भी नौकरको अपना मालिक नहीं बनातापरन्तु भगवान् शरणागत भक्तको अपना मालिक बना लेते हैं । ऐसी उदारता केवल प्रभुमें ही है । ऐसे प्रभुके चरणोंकी शरण न होकर जो मनुष्य प्राकृत‒उत्पत्ति-विनाशशील पदार्थोंके पराधीन रहते हैंउनकी बुद्धि सर्वथा ही भ्रष्ट हो चुकी है । वे इस बातको समझ ही नहीं सकते कि हमारे सामने प्रत्यक्ष उत्पन्न और नष्ट होनेवाले पदार्थ हमें कहाँतक सहारा दे सकते हैं ।
(गीता १८ । १२ की व्याख्यासे)

नारायण !     नारायण !!     नारायण !!!

‒‘कर्म-रहस्य’ पुस्तकसे
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      * एवं स्वभक्तयो राजन् भगवान्‌ भक्तभक्तिमान्
                                                (श्रीमद्भा १० । ८६ । ५९)