।। श्रीहरिः ।।

आजकी शुभ तिथि
भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदावि.सं.२०७१सोमवार
दुर्गतिसे बचो



 (गत ब्लॉगसे आगेका)
 प्रश्न‒ब्रह्मराक्षस- (जिन्न- ) से छुटकारा पानेके क्या उपाय हैं ?

उत्तर‒(क) जो भगवान्‌के भजनमें तत्परतासे लगे हुए हैंसाधनमें जिनकी अच्छी स्थिति हैजिनमें भजन-स्मरणका जोर है, उन साधकोंके पास जानेसे ब्रह्मराक्षस भाग जाते हैंक्योंकि भागवती शक्तिके सामने उनकी शक्ति काम नहीं करती ।

(ख) अगर ब्रह्मराक्षससे ग्रस्त व्यक्ति किसी सिद्ध महापुरुषके पास चला जाय तो वह व्यक्ति उस ब्रह्म-राक्षससे छूट जाता है और उस ब्रह्मराक्षसका भी उद्धार हो जाता है ।

(ग) अगर ब्रह्मराक्षस गया श्राद्ध कराना स्वीकार कर ले तो उसके नामसे गयाश्राद्ध कराना चाहिये । इससे उसकी सद्‌गति हो जायगी ।

प्रश्न‒भूत-प्रेत किन लोगोंके पास नहीं आते ?

उत्तर‒भूत-प्रेतोंका बल उन्हीं मनुष्योंपर चलता है,जिनके साथ पूर्वजन्मका कोई लेन-देनका सम्बन्ध रहा है अथवा जिनका प्रारब्ध खराब आ गया है अथवा जो भगवान्‌के (पारमार्थिक) मार्गमें नहीं लगे हैं अथवा जिनका खान-पान अशुद्ध है और जो शौच-खान आदिमें शुद्धि नहीं रखते अथवा जिसके आचरण खराब हैं । जो भगवान्‌के परायण हैंभगवन्नामका जप-कीर्तन करते हैंभगवत्कथा सुनते हैंखान-पानशौच-खान आदिमें शुद्धि रखते हैं,जिनके आचरण शुद्ध हैंउनके पास भूत-प्रेत प्रायः नहीं आ सकते ।

जो नित्यप्रति श्रद्धासे गीताभागवतरामायण आदि सद्‌ग्रन्थोका पाठ करते हैंउनके पास भी भूत-प्रेत नहीं जाते । परन्तु कई भूत-प्रेत ऐसे होते हैंजो स्वयं गीतारामायण आदिका पाठ करते हैं । ऐसे भूत-प्रेत पाठ करनेवालोंके पास जा सकते हैंपर उनको दुःख नहीं दे सकते । अगर ऐसे भूत-प्रेत गीता आदिका पाठ करनेवालोंके पास आ जायँ तो उनका निरादर नहीं करना चाहियेक्योंकि निरादर करनेसे वे चिढ़ जाते हैं ।

जो रोज गंगाजलका चरणामृत लेता हैउसके पास भी भूत-प्रेत नहीं आते । हनुमानचालीसा अथवा विष्णुसहस्र-नामका पाठ करनेवालेके पास भी भूत-प्रेत नहीं आते । एक बार दो सज्जन बैलगाड़ीपर बैठकर दूसरे गाँव जा रहे थे । रास्तेमें गाड़ीके पीछे एक पिशाच (प्रेत) लग गया । उसको देखकर वे दोनों सज्जन डर गये । उनमेंसे एक सज्जनने विष्णुसहस्रनामका पाठ शुरू कर दिया । जबतक दूसरे गाँवकी सीमा नहीं आयीतबतक वह पिशाच गाड़ीके पीछे-पीछे ही चलता रहा । सीमा आते ही वह अदृश्य हो गया । इस तरह विष्णुसहस्रनामके प्रभावसे वह गाडीपर आक्रमण नहीं कर सका ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘दुर्गतिसे बचो’ पुस्तकसे