।। श्रीहरिः ।।

आजकी शुभ तिथि
भाद्रपद कृष्ण पंचमीवि.सं.२०७१शुक्रवार
स्वतन्त्रतादिवस
नाम-महिमा



 (गत ब्लॉगसे आगेका)
आज दिनतकके समयमें हमने जो संग्रह किया हैउस संग्रहके बदलेमें हमारा गया हुआ समय मिलेगा क्या नहीं मिलेगा । ऐसे समय बरबाद न होइसके लिये आजसे ही विशेषतासे सावधान हो जायँ । हम विशेष सावधान तभी हो सकते हैंजब निर्णय करके आयें कि हम क्या चाहते हैं । यदि हम रुपये-पैसे चाहते हैंमान-बड़ाई चाहते हैंनीरोगता चाहते हैंसदा जीते रहना चाहते हैं तो ये सब बातें कभी नहीं हो सकतींअसम्भव हैं ।

मनुष्योंको इसका भी होश नहीं है कि हम क्या चाहते हैं ? हमारी असली चाह क्या है‒इसका भी पता नहीं है;क्योंकि हम खोज ही नहीं करतेइधर ध्यान ही नहीं देते कि वास्तवमें हमारी चाह क्या है । इस वास्ते सज्जनो ! इसमें तो स्वयं आपको सोचना होगा । इसमें कोई सहारा देनेवाला नहीं है । जब मृत्यु आयेगीउस समयमें प्यारे-से-प्यारे,ज्यादा स्नेह रखनेवाले रो देंगे । इसके सिवाय और क्या कर सकते हैं वे कुछ भी सहायता नहीं कर सकते । अगर आप भजन करतेभगवान्‌में लगते तो क्या यह दुर्दशा होती ?

धनवंता सोई जानिये जाके राम-नाम धन होय ।

राम-नामरूपी धन पासमें होता तो मरनेपर वह पूँजी साथमें चलती । भजन आपने किया हैभगवान्‌का नाम लिया हैभगवान्‌का चिन्तन किया हैसद्भावोंका संग्रह किया हैअपनी प्रकृति सुधार ली है अर्थात् अपने स्वभावका सुधार कर लिया है तो वह आपके साथ चलेगा । परन्तु यहाँकी चीजें बटोरी हैंये साथमें नहीं चलेंगी । स्वभावमें जो बात आ गयीवह साथमें चलेगी । आपने अपना स्वभाव जितना शुद्ध बना लियाउतना आपने काम कर लिया । जितना भजन आपने कर लियाआपने उतना संग्रह कर लियाउतनी साथ जानेवाली पूँजी हो गयी । यह पूँजी ऐसी विलक्षण है कि सांसारिक धनको चुरानेवाले जो चोर-डाकू हैं न वे भी उस पूँजीको चुरा नहीं सकते । आपकी सांसारिक पूँजीपर डाका पड़ता हैपरन्तु भजनरूपी पूँजीपर डाका नहीं पड़ता । शरीर यहाँ रहेगा तो वह पूँजी आपके साथ रहेगी और शरीर जायगा तो वह पूँजी आपके साथ जायगी । इसका भार नहीं होगाबोझा नहीं होगा ।

यहाँ संसारमें रहते हुए भाई अलग-अलग होते हैंतो उनमें पूँजीकाघरका बँटवारा होता हैपरन्तु आपके इस धनका कभी बँटवारा नहीं होगा कि इतना उसके हिस्सेमें आता है । इतना अमुक-अमुकके हिस्सेमें आता है । पर यह धन कभी घटता नहीं और कभी मिटता भी नहीं । परमात्माकी प्राप्ति करा देता है । दुःखोंका सदाके लिये अन्त करा देता है । महान् आनन्दकी प्राप्ति करा देता है । ऐसा भजन करनेके लिये हमारी जीभ सदा खुली है । खास बात हो तो बोलोउसके सिवाय नाम जपते रहो ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘भगवन्नाम’ पुस्तकसे