।। श्रीहरिः ।।

आजकी शुभ तिथि
भाद्रपद कृष्ण एकादशीवि.सं.२०७१गुरुवार
जया एकादशी-व्रत (सबका)
नाम-महिमा



 (गत ब्लॉगसे आगेका)
जैसे आगमें काठ रखो तो अंगार बनकर चमकने लगेगा । काला-से-काला कोयला आगमें रख दो तो वह भी चमकने लगेगा । पत्थरका टुकड़ा आगमें रख दोवह भी चमकने लगेगा । कुछ भी कंकरठीकरी रख दोवे सब-के-सब चमकने लगेंगे । यह क्या है यह आगका प्रभाव है । जब एक भौतिक वस्तुमें भी इतनी सामर्थ्य है कि वह काठपत्थर आदिको चमका दे तो फिर यह तो भगवान्‌का नाम है । यह भौतिक नहीं हैयह तो दिव्य है । यह नाम महाराज चेतनको चेत करा देते हैं कि तू इधर खयाल कर‒‘नाम चेतन कूं, चेत भाई नाम ते चित्त चौथे मिलाई ।’

आपलोगोंमें भी कोई नाम लेनेवाला हो तो मैं मानता हूँ कि आपके ऐसा होता होगा । आप सोते रहते हैंगाढ़ नींदमें तो राम....ऐसी आवाज आती हैआपको जगा देती है कि अरे ! नाम लोकैसे सोता है इस प्रकार नाम महाराज खुद जगाते हैं । नाम महाराज खुद चेत कराते हैं । स्वयं भगवान् चेत कराते हैं ।

एक बड़े विरक्त सन्त थे । वे नाम जपते थे । कौड़ी-पैसा लेते नहीं थेरखते नहीं थेछूते ही नहीं थे । वे कहते थे कि बहुत बार ऐसा होता हैजब मैं सोता हूँ तो मुझे ऐसे प्यारसे उठाते हैंजैसे कोई माँ उठाती हो । गरदनके नीचे हाथ देकर चट उठा देते हैं । मेरेको पता ही नहीं लगता कि न जाने किसने मेरेको बैठा दिया । तो नाम महाराज भगवान्‌की याद दिलाते हैं । मैं खुद अनुमान करता हूँआपमें भी कोई नाम-प्रेमी हैउसके भी ऐसा होता होगा । इसमें कोई गृहस्थका कारण नहीं हैकोई साधुका कारण नहीं हैकोई भाईका कारण नहींकोई बहनका कारण नहीं । कोई भी भाई-बहन इसका जप करेंगेउसके भी यह बात हो जायगी । कभी भगवान्‌की आवाज आ जाती है । आप कभी पाठजप करते हैं । भगवान्‌के भजनमें लगे हैंमनमें जपनेकी लगन है और आपको कहीं नींद आने लगेगी तो किवाड़ जोरसे पड़ाकसे पटकेगाजैसे कोई हवा आ गयी हो अथवा कोई हल्ला करेगा तो आपकी नींद खुल जायगी । कोई अचानक ऐसा शब्द होगा तो चट नींद खुल जायगी । यह तो नाम महाराज चेताते हैंभगवान् चेत कराते हैं कि सोते कैसे हो ?नाम जपते हो कि नींद ले रहे हो भगवान् बड़ी भारी मेहनत करकेआपके ऊपर कृपा करके आपकी निगरानी रखते हैंआप शरण हो तो जाओ ।

तुलसीदासजी महाराज कहते हैं‒‘बिगरी जनम अनेक की सुधरै अबहीं आजु’ अनेक जन्मोंकी बिगड़ी हुई बातआज सुधर जाय और आज भी अभी-अभी इसी क्षणदेरीका काम नहींक्योंकि ‘होहि राम करे नाम जपु’ तुम रामजीके हो करके अर्थात् मैं रामजीका हूँ और रामजी मेरे हैं‒ऐसा सम्बन्ध जोड़ करके नाम जपो । पर इसमें एक शर्त है‒‘एक बानि करुनानिधान की । सो प्रिय जाकें गति न आन की ॥’संसारमें जितने कुटुम्बी हैं, उनमें मेरा कोई नहीं है । न धन-सम्पत्ति मेरी है और न कुटुम्ब-परिवार ही मेरा है अर्थात् इनका सहारा न हो । ‘अनन्यचेताः सततम्’,‘अनन्याश्चिन्तयन्तो माम्’ 

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘भगवन्नाम’ पुस्तकसे