।। श्रीहरिः ।।

आजकी शुभ तिथि
श्रावण शुक्ल एकादशीवि.सं.२०७१गुरुवार
पुत्रदा एकादशी-व्रत (सबका)
दुर्गतिसे बचो



 (गत ब्लॉगसे आगेका)
 प्रश्न‒भूत-प्रेतोंको कीलित करनेवाले तान्त्रिक तो उनके कर्मोंका फल भुगतानेमें सहायक ही बनते हैंतो फिर उनको पाप क्यों लगता है ?

उत्तर‒वे जिनको कीलित कर देते हैंजमीनमें गाड़ देते हैंउन भूत-प्रेतोंका तो यह कर्मफल-भोग हैपर उनको कीलित करनेवालोंका यह नया पाप-कर्म हैजिसका दण्ड उनको आगे मिलेगा । जैसेकोई जानवरको मारता है तो जानवर अपनी मृत्यु आनेसे ही मरता है । उसकी मृत्यु आये बिना उसको कोई मार ही नहीं सकता । परन्तु उसको मारनेवाला नया पाप करता हैक्योंकि वह लोभकामना,स्वार्थ आदिको लेकर ही उसको मारता है । जब कामना आदिको लेकर किया हुआ शुभ कर्म भी बन्धनका कारण बन जाता है तो फिर जो कामना आदिको लेकर अशुभ कर्म करता हैवह तो पापसे बँधेगा ही ।

तात्पर्य है कि किसीको दुःख देनातंग करनामारना आदि मनुष्यका कर्तव्य नहीं हैप्रत्युत अकर्तव्य है । अकर्तव्यमें मनुष्य कामनाको लेकर ही प्रवृत्त होता है (३ । ३७) । अतः मनुष्यको कामनास्वार्थ आदिका त्याग करके सबके हितके लिये ही उद्योग करते रहना चाहिये ।

प्रश्न‒जिन भूत-प्रेतोंको बोतलमें बंद कर दिया गया हैकीलित कर दिया गया हैवे कबतक वहाँ जकड़े रहते हैं ?

उत्तर‒मन्त्रोंकी शक्तिकी भी एक सीमा होती हैउम्र होती है । उम्र पूरी होनेपर जब मन्त्रोंकी शक्ति समाप्त हो जाती है अथवा प्रेतयोनिकी अवधि (उम्र) पूरी हो जाती है,तब वे भूत-प्रेत वहाँसे छूट जाते हैं । अगर उनकी उम्र बाकी रहनेपर भी कोई अनजानमें कील निकाल दे, जमीनको खोदते समय बोतल फूट जायपेड़के गिरनेसे बोतल फूट जाय तो वे भूत-प्रेत वहाँसे छूट जाते हैं और अपने स्वभावके अनुसार पुनः दूसरोंको दुःख देने लग जाते हैं ।

प्रश्न‒अगर कोई पेड़में गड़ी हुई कीलको निकाल दे,जमीनमें गड़ी हुई बोतलको फोड़ दे तो उसमें बन्द भूत-प्रेत उसको पकड़ेंगे तो नहीं ?

उत्तर‒वहाँसे छूटनेपर भूत-प्रेत उसको पकड़ सकते हैंअतः हरेक आदमीको ऐसा काम नहीं करना चाहिये । जो भगवान्‌के परायण हैंजिनको भगवान्‌का सहारा है,हनुमान्‌जीका सहारा हैवे अगर भूत-प्रेतोंको वहाँसे मुक्त कर दें तो भूत-प्रेत उनका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकतेप्रत्युत उनके दर्शनसे उन भूत-प्रेतोंका उद्धार हो जाता है । सन्त-महापुरुषोंने बहुत-से भूत-प्रेतोंका उद्धार किया है ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘दुर्गतिसे बचो’ पुस्तकसे