।। श्रीहरिः ।।




आजकी शुभ तिथि
ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्थी, वि.सं.२०७२, शुक्रवार
गायकी महत्ता और आवश्यकता



(गत ब्लॉगसे आगेका)

आजकल गोबरसे गैस पैदा की जाती है । उस गैससे बिजली भी पैदा की जाती है, जिसको कई जगह काममें लिया जाता है । गैस निकलनेके बाद गोबरकी तेजी कम हो जाती है और वह खेतोंमें देनेके लिये बढ़िया खाद हो जाती है ।

संखिया, भिलावा आदि बड़े-बड़े जहरोंकी शुद्धि भी गोमूत्रसे ही होती है । सोना, चाँदी आदि धातुएँ भी गोमूत्रसे शुद्ध की जाती हैं । भस्म बनाते समय उन धातुओंको तपाकर तेलमें, गायकी छाछमें और गोमूत्रमें बुझाकर शुद्ध किया जाता है ।

छोटी बछड़ीका गोमूत्र प्रतिदिन तोला-दो-तोला पीनेसे पेटके रोग दूर होते हैं । यकृत्-पीड़ामें भी गोमूत्रका सेवन बड़ा लाभदायक होता है । एक संतको दमारोग था । उन्होंने छोटी बछड़ीका गोमूत्र प्रातः खाली पेट एक तोला प्रतिदिन लेना शुरू किया तो उनका रोग बहुत कम हो गया । छातीमें, कलेजेमें दर्द होता हो तो एक बर्तनमें गोमूत्र लेकर उसको गरम करे । उस बर्तनपर एक लोहेकी छलनी रखकर उसपर कपड़ा या पुरानी रुई रख दे । वह कपड़ा या रुई गरम हो जाय तो उससे छातीपर सेक करता रहे । इससे दर्द दूर हो जाता है । गोमूत्रसे स्नान करनेसे शरीरकी खुजली मिटती है ।

इस प्रकार गोबर और गोमूत्रसे अनेक रोग दूर होत हैं ।

प्रश्न‒गोरक्षासे क्या लाभ हैं ?

उत्तरगायकी रक्षासे मनुष्य, देवता, भूत-प्रेत, यक्ष-राक्षस, पशु-पक्षी, वृक्ष-घास आदि सबकी रक्षा होती है । पृथ्वीपर कोई भी ऐसा स्थावर-जंगम प्राणी नहीं है, जो गायसे पुष्टि न पाता हो । गाय अर्थ, धर्म, काम और मोक्षको सिद्ध करनेवाली, लोक-परलोकमें सहायता करनेवाली और नरकोंसे उद्धार करनेवाली है ।

गोरक्षाके लिये बलिदान करनेवालोंकी कथाओंसे इतिहास, पुराण भरे पड़े हैं । बड़े भारी दुःखकी बात है कि आज हमारे देशमें पैसोंके लोभसे प्रतिदिन हजारोंकी संख्यामें गायोंकी हत्या की जा रही है ! अगर इसी तरह गोहत्या होती रही तो एक समय गोवंश समाप्त हो जायगा । जब गायें नहीं रहेंगी, तब देशकी क्या दशा होगी, कितनी आफतें आयेंगी‒इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता । जब गायें खत्म हो जायँगी और जमीनसे तेल निकलना बंद हो जायगा, तब खेती कैसे होगी ? खेती न होनेसे अन्न तथा वस्त्र (कपास) कैसे मिलेगा ? लोगोंको शरीर-निर्वाहके लिये अन्न, जल और वस्त्र मिलना भी मुश्किल हो जायगा । राजस्थानके गाँवोंमें मैंने देखा है कि पहले वहाँ बैलोंके द्वारा जमीनसे पानी निकाला जाता था । फिर वहाँ बिजली आनेसे बिजलीसे पानी निकलने लगा और बैलोंको लोगोने बिक्री कर दिया । अब अगर बिजली बंद हो जाय तो पानी भी बंद हो जाता है और लोग दुःख पाते हैं ! यह प्रत्यक्ष देखी हुई बात है ।

(शेष आगेके ब्लॉगमें)
        ‒‘किसान और गाय’ पुस्तकसे