।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
भाद्रपद कृष्ण चतुर्दशी, वि.सं.२०७२, शनिवार
श्राद्धकी अमावस्या, कुशोत्पाटिनी अमावस्या
प्रवचन‒९


प्रायः साधकोंकी यह धारणा रहती है कि करनेसे ही सब कुछ होता है, इसलिये शुभ कर्म करने चाहिये । यह धारणा बड़ी अच्छी है, पर कर्म कर्ताके अधीन होते है । अतः कर्ता जैसा होता है, उसके द्वारा कर्म भी वैसे ही होते है । कर्मयोग भी निष्काम कर्मसे नहीं होता, अपितु निष्काम कर्तासे होता है; अतः स्मरण, कीर्तन, जप, ध्यान, स्वाध्याय आदि करना बहुत उत्तम है और करना भी चाहिये । परन्तु जप, ध्यानादि कर्म एक तो स्वतः होते है और एक करने पड़ते है । जबतक कर्तामें भाव नहीं है, तबतक उसे जप, ध्यानादि करने पड़ते है । पर भाव होनेसे उसके द्वारा स्वतः स्वाभाविक ही जप, ध्यानादि होते है और तेजीसे होते है । कर्तामें भाव कैसे आये ? इसपर विचार करें ।

जहाँ हम ‘मैं हूँ’ इस प्रकार अपने-आपको मानते है, वहीं यह मान लें कि ‘मैं भगवान्का हूँ’, । इस प्रकार जबमैं’-पनमें अटल भाव हो जायेगा, तब निरन्तर स्वतः भगवान्का भजन होगा । अभी तो घर (संसार) -का काम स्वतः होता है और रात-दिन हरदम होता है । जैसे नौकरी करते है तो समयपर जाते है और समयपर आते है, वैसे ही जप-ध्यानादि भी समयपर करते है । तात्पर्य यह है कि जप-ध्यानादि कर्म समयकी सीमामें बँधे रहते है । यदि हमारा भाव हो जाय कि ‘मैं भगवान्का हूँ और भगवान् मेरे है’ तो घरके कामकी तरह रात-दिन हरदम भगवान्का भजन होगा । भजनके बिना रह नहीं सकेंगे और घर (संसार) का काम नौकरीकी तरह होगा । अतः कर्तामें परिवर्तन होनेसे कर्मोंमें स्वतः स्वाभाविक और शीघ्रतासे परिवर्तन हो जाता है ।

साधकसे भूल यह होती है कि वह ‘मैं हूँ’ के स्थानपर अपने नाम, वर्ण, आश्रम, जाति, सम्प्रदाय आदिको बैठा देता है, और मैं अमुक नामवाला हूँ, मैं अमुक वर्णवाला हूँ, मैं साधु हूँ, मैं गृहस्थ हूँ आदि अनेक मान्यताएँ कर लेता है । ऐसी मान्यताओंके कारण साधनकी सिद्धिमें विलम्ब होता है । कारण कि ये मान्यताएँ मैंमें रहती है और भगवान्का भजन (उपासना) ‘कर्म’ में रहता है । साधकको चाहिये कि वह ‘मैं भगवान्का हूँ’‒इस प्रकारमैंमें भगवान्को रखे और वर्णाश्रम आदिको ‘कर्म’में रखे । तात्पर्य यह है कि भीतरसे ‘मैं तो भगवान्‌का हूँ’ ऐसा मानते हुए बाहरसे नाटकमें स्वाँगकी तरह अपने वर्णाश्रम आदिके कर्तव्यका पालन करता रहे ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘साधकोंके प्रति’ पुस्तकसे