।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी, वि.सं.२०७२, बुधवार
विचार करें


(गत ब्लॉगसे आगेका)
संसारमें ऐसा कोई है, जो केवल याद करनेसे राजी हो जाय ? आप दिनभर काम करके शामको घर जाओ और स्त्रीसे पूछो कि रसोई बनायी ? वह कहे कि नहीं, मैं तो आपको याद कर रही थी तो क्या आप राजी हो जाओगे ? रोटी तो बनायी ही नहीं, याद करनेसे क्या होगा ? परन्तु भगवान्को याद करनेसे ही वे राजी हो जायँगे । क्या इतना सस्ता कोई है ? इतना हितैषी कोई है ? उसको तो भूल जाते हैं और संसारको याद रखते हैं ! क्या यह उचित है ? भगवान्का स्मरण करके कितने बड़े-बड़े सन्त-महात्मा हो गये ! आज उनका सब आदर करते हैं । उनमें यह विशेषता इसलिये आयी कि उन्होंने संसारको याद न करके भगवान्को याद किया ।

विचार करें, हम सन्त-महात्माओंका कहना मानते हैं कि संसारमें रचे-पचे लोगोंका कहना मानते हैं ? जो सदा हमारा हित चाहते हैं और हित करते हैं, जिन्होंने हमारा कभी अहित नहीं किया, कभी धोखा नहीं दियावे तो हमें अच्छे नहीं लगते और धोखा देनेवाले, ठगाई करनेवाले आदमी अच्छे लगते हैं, फिर हमारा भला कैसे होगा ? उद्धार कैसे होगा ? हरदम भगवान्को याद करो और ‘हे नाथ ! हे नाथ !!’ पुकारते रहो तो आपकी विलक्षण स्थिति हो जायगी । लोग आपको महात्मा कहेंगे । सच्चाईसे, ईमानदारीसे काम करो तो लोग अच्छा कहेंगे । पहले भले ही बुरा कह दें, पर अन्तमें सब अच्छा-ही-अच्छा कहेंगे ।

भगवान् सदा हित करनेवाले हैं । उनके द्वारा कभी किसीका अहित नहीं होता, सदा हित-ही-हित होता है । हम उनकी परवाह नहीं करते, उनको याद नहीं करते, इतनेपर भी वे हमारा हित करना छोड़ते नहीं । वे भगवान् हमें मीठे लगने चाहिये । उनकी मीठी-मीठी याद आनी चाहिये । उनको याद करके हम पवित्र हो जायँगे, सन्त हो जायँगे ! जिनको हम याद करते हैं, वे स्त्री, पुत्र, परिवार हमें क्या निहाल करेंगे ? मीराबाईने भगवान्को अपना मान लिया तो अच्छे -अच्छे सन्त मीराबाईका आदर करते हैं, उनके पद गाते हैं । वास्तवमें भगवान् और उनके भक्तये दो ही बिना स्वार्थ सबका हित करनेवाले हैं

हेतु रहित जग  जुग  उपकारी ।
तुम्ह तुम्हार  सेवक  असुरारी ॥
स्वारथ मीत सकल जग माहीं ।
सपनेहुँ प्रभु  परमारथ  नाहीं ॥
                              (मानस, उत्तर ४७ । ३)

सुर नर मुनि  सब  कै यह रीती ।
स्वारथ लागि करहिं सब प्रीती ॥
                              (मानस, किष्किंधा १२ । १

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘सत्यकी खोज’ पुस्तकसे