।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
पौष कृष्ण प्रतिपदा, वि.सं.२०७२, शनिवार
सच्चा गुरु कौन ?


(गत ब्लॉगसे आगेका)

यदि गुरु मिल गया और ज्ञान नहीं हुआ तो वास्तवमें असली गुरु मिला ही नहीं । असली गुरु मिल जाय और साधक साधनमें तत्पर हो तो ज्ञान हो ही जायगा । यह हो ही नहीं सकता कि अच्छा साधक हो, असली सन्त मिल जाय और बोध न हो ! एक कहावत है‒

पारस केरा गुण किसा,     पलट्या नहीं लोहा ।
कै तो निज पारस नहीं, कै बिच रहा बिछोहा ॥

तात्पर्य है कि यदि शिष्य गुरुसे दिल खोलकर सरलतासे मिले, कुछ छिपाकर न रखे तो शिष्यमें वह शक्ति प्रकट हो जाती है, जिस शक्तिसे उसका कल्याण हो जाता है ।

गुरु-तत्त्व नित्य होता है और वह कहीं भी किसी घटनासे, किसी परिस्थितिसे, किसी पुस्तकसे, किसी व्यक्ति आदिसे मिल सकता है । अतः गुरुके बिना ज्ञान नहीं होता‒यह बात सच्ची है ।

प्रश्न‒क्या अपने कल्याणके लिये गुरु बनाना आवश्यक है ?

उत्तर‒कल्याणके लिये गुरुकी आवश्यकता तो है, पर बनाये हुए गुरुसे कल्याण नहीं होता । जिससे कल्याण होता है, उसमें गुरुपना स्वतः आ जाता है । तात्पर्य है कि कल्याणके लिये गुरु बनानेकी जरूरत नहीं है, प्रत्युत जिससे जितने अंशमें ज्ञान हो गया, उतने अंशमें वह हमारा गुरु हो गया, चाहे हम मानें या न मानें, जानें या न जानें ।

जिसमें अपने कल्याणकी जोरदार इच्छा, सच्ची लगन हो जाती है, उसको स्वतः बोध हो जाता है; जैसे‒किसीका संवाद हो रहा हो तो उसको सुननेमात्रसे बोध हो जाता है अथवा कहीं जा रहें हैं और किसी घरमें कोई बात हो रही है तो उस बातसे बोध हो जाता है अथवा किसी पुस्तकको खोलकर देखते हैं तो उसमें किसी बातको पढ़नेसे बोध हो जाता है अथवा किसी सन्तका इतिहास पढ़ते-पढ़ते कोई बात मिल जाती है तो उससे बोध हो जाता है, इत्यादि । तात्पर्य है कि बोध होनेमें कोई व्यक्ति कारण नहीं है, प्रत्युत अपनी सच्ची लगन, तीव्र जिज्ञासा ही कारण है ।

गुरुको प्राप्त कर लेना मनुष्यके हाथकी बात है ही नहीं । उसके हाथकी बात यही है कि वह अपनी लगन, जिज्ञासा जोरदार कर ले । भगवान्पर भरोसा रखकर तथा निर्भय, निःशोक, निश्चिन्त और निःशंक होकर अपने मार्गपर चलता रहे ।

प्रश्न‒स्त्रीको गुरु बनाना चाहिये या नहीं ?

उत्तर‒स्त्रीके लिये पति ही गुरु है । अतः उसको पतिके सिवाय दूसरे किसी पुरुषको गुरु नहीं बनाना चाहिये‒‘पतिरेको गुरुः स्त्रीणाम्’ । आजकलके जमानेमें जहाँतक बने, स्त्रियोंको किसी भी परपुरुषसे किसी तरहका सम्बन्ध नहीं रखना चाहिये ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘सच्चा गुरु कौन ?’ पुस्तकसे