।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
पौष शुक्ल दशमी, वि.सं.२०७२, मंगलवार
एकादशी-व्रत कल है


प्राप्त जानकारीके सदुपयोगसे कल्याण



मनुष्यमें जाननेकी एक इच्छा रहती है कि मैं अधिक सत्संग करूँ, अधिक पढू और अधिक जानूँ । बहुत अच्छी बात है ! परन्तु बढ़िया बात यह है कि जितना जानते हैं, उतना काममें लाओ । मैं अधिक पैसे पैदा कर लूँ‒यह इच्छा रहती है, पर जो है, उसका उपयोग करो । आपके पास जो पैसा है, उसका उपयोग करनेकी जितनी जरूरत है, उतनी और पैदा करनेकी जरूरत नहीं है । आप पैसोंका सदुपयोग करोगे तो आपके पास पैसोंकी कमी नहीं रहेगी । आप वस्तुओंका ठीक तरहसे सदुपयोग करोगे तो वस्तुओंकी कमी नहीं रहेगी । परन्तु उनका दुरुपयोग करोगे तो लाखों-करोड़ों रुपये होनेपर भी आपकी तृष्णा नहीं मिटेगी, कृपणता नहीं मिटेगी और पतन होगा । एकदम पक्की बात है ! इसलिये आजतक जितना आप जानते हो, उसके अनुसार अगर जीवन बना लो तो उद्धार हो जायगा, इसमें सन्देह नहीं है । अगर आप सुनते जाओ, पढ़ते जाओ, जानते जाओ, पर उसके अनुसार करो नहीं तो आपके चाहे कई जन्म बीत जायँ, उद्धार नहीं होगा ।

ज्ञानके संचयकी इतनी आवश्यकता नहीं है, जितनी उसके सदुपयोगकी आवश्यकता है । पैसोंके, वस्तुओंके संचयकी महिमा नहीं है, प्रत्युत उनके सदुपयोगकी महिमा है । आपको जितना मिला है, उतनेसे पूरा उद्धार हो सकता है । भगवान्ने मनुष्यजन्म दिया है तो उद्धारकी सामग्री भी पूरी दी है । वास्तवमें देखा जाय तो सामग्री बहुत ज्यादा दी है ! उद्धारके लिये जितनी योग्यता चाहिये, उससे अधिक योग्यता दी है । उद्धारके लिये जितना समय चाहिये, उससे अधिक समय दिया है । उद्धारके लिये जितनी समझ चाहिये, उससे अधिक समझ दी है । कृपणता, कंजूसी नहीं की है भगवान्ने । इसलिये आपके पास जितनी सामग्री है, जितना समय है, जितनी समझ है, जितनी सामर्थ्य है, उसको पूरी लगा दो तो परमात्माकी प्राप्ति हो जायगी‒इसमें किञ्चिन्मात्र भी सन्देह नहीं है । जितनी सामग्री, जितना धन आपके पासमें है, उसका आप सदुपयोग करो तो कल्याण हो जायगा । उसका सदुपयोग न करके संचय करोगे तो इस जन्ममें तो कल्याण होगा नहीं, आगेके जन्ममें भी शायद ही हो ! जितना धन आपके पास है, उससे ज्यादाकी जरूरत नहीं है । इन्कमपर टैक्स होता है, मालपर जगात होती है । जितनी इन्कम है, उतना टैक्स होगा । जितना माल है, उतनी जगात होगी । अतः अधिक धनकी इच्छा करनी आफत करनी है, अधिक समयकी इच्छा करनी आफत करनी है, अधिक सामग्रीकी इच्छा करनी आफत करनी है ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें) 
‒‘नित्ययोगकी प्राप्ति’ पुस्तकसे