।। श्रीहरिः ।।



आजकी शुभ तिथि
फाल्गुन शुक्ल षष्ठी, वि.सं.२०७२, सोमवार
शीघ्र भगवत्प्राप्ति कैसे हो ?
 
 
 
(गत ब्लॉगसे आगेका)
सांसारिक पदार्थोंकी प्राप्तिके लिये तो भविष्यकी आशा करना उचित है; क्योंकि सांसारिक पदार्थ सदा सब जगह विद्यमान नहीं है, परन्तु सच्चिदानन्दघन परमात्मा तो सम्पूर्ण देश, काल, वस्तु और व्यक्तिमें विद्यमान हैं, उनकी प्राप्तिमें भविष्यका क्या काम ? इस तथ्यकी ओर प्रायः साधकोंका ध्यान ही नहीं जाता । वे यही मान बैठते है कि इतना साधन करेंगे; इतना नाम जप करेंगे; ऐसी-ऐसी वृत्तियाँ बनेंगी; इतना अन्तःकरण शुद्ध होगा, इतना वैराग्य होगा; भगवान्‌में इतना प्रेम होगा; ऐसी अवस्था होगी, ऐसी योग्यता होगी‒तब कहीं परमात्माकी प्राप्ति होगी ! इस प्रकारकी अनेक आड़े (रुकावटें) साधकोंने स्वयं ही लगा रखी है यही महान् बाधा है ।
जिस दिन साधकके भीतर यह उत्कट अभिलाषा जाग्रत् हो जाती है कि परमात्मा अभी ही प्राप्त होने चाहिये अभी अभी.....अभी ! उसी दिन उसे परमात्मप्राप्ति हो सकती है ! साधककी योग्यता, अभ्यास आदिके बलपर परमात्माकी प्राप्ति हो जाय‒यह सर्वथा असम्भव है । परमात्माकी प्राप्ति केवल उत्कट अभिलाषासे ही हो सकती है ।
आप सगुण या निर्गुण, साकार या निराकार‒किसी भी तत्त्वको मानते हों, उसके बिना आपसे रहा नहीं जाय उसके बिना चैन न पड़े । भक्तिमती मीराबाईने कहा है‒
हेली म्हाँस्यूँ हरि बिन रह्‌यो न जाय ॥
हे सखी ! मुझसे हरिके बिना रहा नहीं जाता ।’
निर्गुण-उपासकोने भी यही कहा है‒
दिन नहिं भूख रैन नहिं निद्रा,
छिन-छिन व्याकुल होत हिया, चितवन मोरी तुमसे लागी पिया ।
तत्त्वकी प्राप्तिके बिना दिनमें भूख नहीं लगती और रातमें नींद नहीं आती ! आप कैसे मिलें ! क्या करूँ ? हृदयमें क्षण-क्षण व्याकुलता बढ़ रही है । उसे छोड़कर और कुछ सुहाता नहीं ।
सन्तोंने भी कहा है‒
नारायण  हरि  लगन  में  ये  पाँचों   सुहात ।
विषय भोग, निद्रा हंसी, जगत प्रीति, बहू बात ॥
ये विषयभोगादि पाँचों चीजें जिस दिन सुहायेंगी नहीं, अपितु कड़वी अर्थात् बुरी लगेंगी, भगवान्‌का वियोग सहा नहीं जायेगा । उसी दिन प्रभु मिल जायेंगे । इतने प्यारे भगवान् ! इतने प्रियतम परमात्मा ! जिनके समान कोई प्यारा हुआ नहीं, है नहीं, होगा नहीं, हो सकता नहीं, ऐसे अपने प्यारे प्रभुके वियोगमें हम दिन बिता रहे है ! उनके मिले बिना ही हम सुखसे रह रहे है !
 
   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
 ‒‘साधकोंके प्रति’ पुस्तकसे