।। श्रीहरिः ।।



आजकी शुभ तिथि

आषाढ़ शुक्ल चतुर्दशी, वि.सं.२०७३, सोमवार
किसानोंके लिये शिक्षा




(गत ब्लॉगसे आगेका)

गाय और माय बेचनेकी नहीं होती । जबतक गाय दूध और बछड़ा देती है, बैल काम करता है, तबतक उनको रखते हैं । जब वे बूढ़े हो जाते हैं, तब बेच देते हैं । यह कितनी कृतघ्नताकी बात है ! कितने पापकी बात है ! गाँधीजीने ‘नवजीवन’ अखबारमें लिखा था कि बूढ़ा बैल जितना गोबर और गोमूत्र करता है, उससे कम खर्चा करता है । जितना घास खाता है, उतना गोबर और गोमूत्र कर देता है ।

राजस्थानमें कई जगह ऐसा हुआ है कि बिजली चली जाती है, जिससे टोंटीमें जल आना बन्द हो जाता है और जलके बिना लोग दुःख पाते हैं ! पहले घरोंमें बैल होते, लाव (रस्सी) और चरस होता, जिससे कुएँमेंसे पानी निकाल लेते थे । अब बैल बेच दिये, फिर कुएँसे जल कैसे आये ? मेहनत किये बिना खाने-पीनेकी आदत पड़ गयी । बस, टोंटी खोल दी और पानी आ गया । परन्तु बिना मेहनत मिलनेवाली चीज अधिक दिन चलेगी नहीं । वैज्ञानिकोंने कहा है कि एक समय ऐसा आनेवाला है, जब न बिजली मिलेगी, न पेट्रोल-डीजल ! फिर क्या दशा होगी लोगोंकी ? इसलिये आप लोगोंसे कहता हूँ कि गाय-बैलको, बछड़ा-बछड़ीको बेचो मत । अभी भी तेल महँगा हो रहा है और आप ट्रेक्टरोंसे तेल खर्च कर रहे हो । जब तेल नहीं मिलेगा, तब बिना ट्रेक्टरोंके खेती कैसे करोगे ? बैलोंको तो खत्म कर रहे हो !

जब ट्रेक्टर चलता है, तब बड़ी हत्या होती है । खेतमें रहनेवाले कितने ही चूहे, गिलहरियाँ आदि जीव मारे जाते हैं । जहाँ पाला, घास, सेवन आदि होती है, वहाँ ट्रेक्टर चलता है तो पाला आदि नहीं होता । पाला, घास, बूर, सेवन, बुडे़सी, गँठिया आदिकी जड़ें उखड़ जाती हैं और वे नष्ट हो जाते हैं । ट्रेक्टरोंके कारण गायोंके खानेके लिये घास आदि नहीं होता । खेतोंकी पुष्टि गाय-बैलोंसे होती है, ट्रेक्टरोंसे नहीं । इसलिये गाय-बैलोंकी रक्षा करो ।


   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘किसान और गाय’ पुस्तकसे