।। श्रीहरिः ।।



आजकी शुभ तिथि

श्रावण कृष्ण प्रतिपदा, वि.सं.२०७३, बुधवार

किसानोंके लिये शिक्षा






(गत ब्लॉगसे आगेका)

पिछले दिनोंमें हिन्दू-मुसलमानोंकी लड़ाई हुई तो मुसलमान लोग एक हिन्दू स्त्रीके मुँहमें कपड़ा डालकर तथा उसके हाथ पीछे बाँधकर बुरका पहनाकर ले जा रहे थे । टिकटकी जाँच करने टीटी आया तो उस स्त्रीने टीटीके पैरको अपने पैरसे दबाया । उसने सोचा कि स्त्री मेरा पैर क्यों दबा रही है ? बात क्या है ? बुरका हटाया तो वह स्त्री निकली । फिर टीटीने रेलवे पुलिससे कहकर स्त्रीको उन लोगोंसे मुक्त किया । इस प्रकार वे स्त्रियोंको ले जाकर अपनी बना रहे हैं और ज्यादा-से-ज्यादा सन्तान पैदा कर रहे हैं । भारतकी स्वतन्त्रताके समय कितने हिन्दू और मुसलमान थे, अब कितने हिन्दू और मुसलमान हैं ? अभी जो जनगणना हुई है, उसमें सरकारने यह प्रकट नहीं किया है कि हिन्दू कितने हैं और मुसलमान कितने हैं ? सरकार प्रकट करते हुए काँप रही है ! सरकार कितना अन्याय कर रही है ! अब भी वह मुसलमानोंका पक्ष ले रही है‒केवल वोटोंके लिये । मुसलमानोंके साथ हमारा पीढ़ियोंसे काम पड़ा है । क्या दशा हुई, आप जानते हैं । नागौरमें ऐसी बात मैंने सुनी है । मुसलमानोंने कहा कि यह बाजार हमारेको दे दो, यह दुकान हमारेको दे दो तो हम तुम्हारेको वोट दे देंगे । नेतालोग तो पाँच वर्षोंतक पदपर रहेंगे, पर उनकी जायदाद उम्रभरके लिये हो गयी ! हिन्दू तो जमीन बेच रहे हैं और वे जमीन खरीद रहे हैं ।
हमारा मुसलमानोंसे कोई विरोध नहीं है । हमारे तो सत्संगमें मुसलमान आते हैं । मुसलमान गीता पढ़ते हैं । किशनगढ़में जब हमने चातुर्मास किया, तब एक मुसलमान सत्संगमें आता था, जो गीताका पाठ किया करता था तथा कई बातें पूछता था । कलकत्तेमें ईरानके मुसलमान हमारे सत्संगमें आये । मेरी उनके साथ बातें भी हुई हैं । तात्पर्य है कि उनमें भी अच्छे आदमी होते हैं । ऐसा ठेका नहीं है कि अच्छे आदमी हिन्दुओंमें ही होते हैं, मुसलमानोंमें नहीं होते । सब जातियोंमें सब तरहके आदमी होते हैं । साधुओंमें अच्छे-अच्छे साधु भी होते हैं और रावण तथा कालनेमि भी होते हैं । उन्होंने साधु-वेश धारण किया था । स्त्रियोंमें सीता, सावित्री-जैसी स्त्रियों भी होती हैं और शूर्पणखा-जैसी स्त्रियों भी होती हैं । समुद्रमें बड़े-बड़े रत्न भी होते हैं और शंख तथा कौड़ियाँ भी होती हैं ।


   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘किसान और गाय’ पुस्तकसे