।। श्रीहरिः ।।



आजकी शुभ तिथि
श्रावण कृष्ण षष्ठी, वि.सं.२०७३, सोमवार
किसानोंके लिये शिक्षा





(गत ब्लॉगसे आगेका)
सुख-शान्तिका उपाय

खेती करनेवालोंसे प्रार्थना है कि वे अमावस्याके दिन खेती न करें और उस दिन भगवान्‌का नाम लें, कीर्तन करें । साहूकारोंसे, मजदूरोंसे सबसे कहना है कि वे कम-से-कम अमावस्याके दिन छुट्टी रखें और भजन-कीर्तन, गीता-पाठ, रामायण-पाठ आदिमें समय बितायें । गीता और रामायण प्रासादिक ग्रन्थ हैं । जिनको पढ़ना-लिखना नहीं आता, ऐसे भाई-बहन भी गीता-रामायण पढ़नेका अभ्यास करें तो उनको पढ़ना आ जायगा । ये ग्रन्थ खुद कृपा करते हैं । ये कल्पवृक्ष हैं, जो शरणमें आये हुएका दुःख दूर करते हैं । इनके पाठसे लोक-परलोक दोनों सुधरते हैं । एक आदमीको टीबी हो गयी । उसने रामायणका पाठ किया तो उसका रोग ठीक हो गया । ऐसी कई घटनाएँ घटी हैं । नापासरमें वर्षा नहीं हुई । सबने मिलकर सात-आठ दिनतक कीर्तन किया तो वर्षा हो गयी । एक घरमें आग लगती थी । बन्द बक्सोंके भीतर पड़े कपड़े भी जल जाते थे । वहाँ सात दिनतक नगाड़ा बजाकर कीर्तन किया तो शान्ति हो गयी । भगवन्नाममें अपार शक्ति है, जिससे जीवकी मुक्ति हो जाय, कल्याण हो जाय । आप रोजाना भगवन्नामकी कम-से-कम एक माला फेरनेका नियम ले लो । छोटे बच्चोंसे भी नामजप करवाओ । वे कहें कि भूख लगी है तो कहो कि पहले माला फेरो, फिर रोटी देंगे । इससे उनकी माला फेरनेकी आदत पड़ जायगी । उनसे बड़ोंके चरणोंमें नमस्कार कराओ । आप भी जहाँ मजदूरी करो, वहाँ मालिकोंको नमस्कार करो । घरमें जो बड़े-बूढ़े हैं, उनको नमस्कार करो । माँके चरणोंमें मस्तक रखकर नमस्कार करो । माँके समान संसारमें दूसरा कोई नहीं है । माँका दर्जा सबसे ऊँचा है । कौसल्या माँ रामजीसे कहती हैं‒

जौं  केवल   पितु  आयसु  ताता ।
तो जनि जाहु जानि बड़ि माता ॥
जौं पितु मातु कहेउ  बन  जाना ।
तौ कानन  सत  अवध  समाना ॥
                                (मानस २ । ५६ । १)

घरमें परस्पर प्रेमका बर्ताव रखो । एक-दूसरेका हित करो, सेवा करो । बहनों-माताओसे कहना है कि सासका, काकी सासका, बड़ी सासका आदर करो । जेठानी, ननद, भौजाईका आदर करो । घरमें बड़ोंको खुद भी नमस्कार करो और बच्चोंको भी नमस्कार करना सिखाओ । ऐसा करनेसे घरमें परस्पर प्रेम रहेगा, लड़ाई नहीं होगी । नमस्कार करेंगे तो लड़ाई कैसे करेंगे ? सुबह-शाम दोनों समय नमस्कार करनेका नियम ले लें । दिनमें लड़ाई हो जाय तो शामके नमस्कारसे मिट जायगी और रातमें लड़ाई हो जाय तो सुबहके नमस्कारसे मिट जायगी । कितनी सीधी-सरल बात है ! चरणोंमें नमस्कार करके माफी माँगी और लड़ाई मिटी ! लड़ाईको फैलने मत दो । सप्ताहमें एक दिन सब मिलकर घरमें कीर्तन करो और उस दिन नमस्कार करके, माफी माँगकर या माफी देकर लड़ाई मिटा दो । घरोंमें कलह मत रहने दो । कलह नाम कलिका है । गीता-रामायण पढ़ो, नल-दमयन्तीकी कथा पढ़ो, जिससे कलियुग अपनेपर असर न करे [*] नामजप करो । कीर्तन करो । काम-धंधा करते हुए भगवान्‌को याद रखो । पित्तका बुखार आता है तो मिश्री कड़वी लगती है । परन्तु मिश्री चूसना शुरू कर दे तो वह मीठी लगने लग जायगी । ऐसे ही आपको राम-नाम लेना अच्छा न लगे तो भी राम-राम करना शुरू कर दो तो वह मीठा लगने लग जायगा ।

हाथ काम मुख राम है,  हिरदै साची प्रीत ।
दरिया गृहस्थी साधकी, याही उत्तम रीत ॥

अगर सुख-शान्ति चाहते हो, लोक-परलोकका सुधार चाहते हो तो इन बातोंको काममें लाओ ।

नारायण !     नारायण !!     नारायण !!!

‒‘किसान और गाय’ पुस्तकसे


[*] कर्कोटकस्य नागस्य दमयान्ता नलस्य च ।
    ऋतुपर्णस्य राजर्षेः कीर्तनं कलिनाशनम् ॥