।। श्रीहरिः ।।




आजकी शुभ तिथि
श्रावण कृष्ण चतुर्दशीवि.सं.२०७३, सोमवार
गृहस्थमें कैसे रहें ?




(गत ब्लॉगसे आगेका)

पड़ोसीकी कोई गाय-भैंस घरपर आ जाय तो पड़ोसीसे झगड़ा न करे और उन पशुओंको पीटे भी नहीं, प्रत्युत प्रेमपूर्वक पडोसीसे कह दे कि ‘भैया ! तुम्हारी गाय-भैंस हमारे घरपर आ गयी है । वह फिर न आ जाय, इसका खयाल रखना ।’ हम ऐसा सौम्य बर्ताव करेंगे तो हमारी गाय-भैंस पड़ोसीके यहाँ जानेपर वह भी ऐसा ही बर्ताव करेगा । यदि पड़ोसी क्रूर बर्ताव करे तो भी हमारेको उसपर क्रोध नहीं करना चाहिये, प्रत्युत इस बातकी विशेष सावधानी रखनी चाहिये कि हमारी गाय-भैंस आदिसे पड़ोसीका कोई नुकसान न हो ।

हमारे घर कोई उत्सव हो, विवाह आदि हो और उसमें बढ़िया-बढ़िया मिष्ठान्न आदि बने तो उसको पड़ोसीके बालकोंको भी देना चाहिये; क्योंकि पड़ोसी होनेसे वे हमारे कुटुम्बी ही हैं । इससे भी अधिक प्रेमका बर्ताव करना हो तो जैसे अपनी बहन-बेटीके विवाहमें देते हैं, ऐसे ही पड़ोसीकी बहन-बेटीके विवाहमें भी देना चाहिये; जैसे अपने दामादके साथ बर्ताव करते हैं, ऐसे ही पड़ोसीके दामादके साथ भी बर्ताव करना चाहिये ।

प्रश्न‒नौकरके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिये ?

उत्तर‒नौकरके साथ अपने बालककी तरह बर्ताव करना चाहिये । नौकर दो तरहसे रखा जाता है‒(१) नौकरको तनखाह भी देते हैं और भोजन भी । (२) नौकरको केवल तनखाह देते हैं, भोजन वह अपने घरपर करता है । जो नौकर तनखाह भी लेता है और भोजन भी करता है, उसके साथ भोजनमें विषमता नहीं करनी चाहिये । प्रायः घरोंमें नौकरके लिये तीन नम्बरका, घरके सदस्योंके लिये दो नम्बरका और अपने पति-पुत्रके लिये एक नम्बरका भोजन बनाया जाता है तो यह तीन तरहका भोजन न बनाकर एक तरहका ही भोजन बनाना चाहिये । भोजन मध्यम दर्जेका बनाना चाहिये और सबको देना चाहिये । समयपर कोई भिक्षुक आ जाय तो उसको भी देना चाहिये ।

जो नौकर केवल तनखाह लेता है, भोजन नहीं करता, वह जैसा उचित समझे, बनाये और खाये । परन्तु हमारे घरपर कभी विशेषतासे मिठाई आदि बने तो नौकरके बाल-बच्चोंको देनी चाहिये । विवाह आदिमें उसको कपड़े आदि देने चाहिये । उसको तनखाह तो यथोचित ही देनी चाहिये, पर समय-समयपर उसको इनाम, कपड़ा, मिठाई आदि भी देते रहना चाहिये । अधिक तनखाहका उतना असर नहीं पड़ता, जितना इनाम आदिका असर पड़ता है । नौकरको इनाम आदि देनेसे देनेवालेके हृदयमें उदारता आती है और आपसमें प्रेम बढ़ता है, जिससे वह समयपर चोर-डाकू आदिसे हमारी रक्षा भी करेगा; विवाह आदिके अवसरपर वह उत्साहसे काम करेगा ।

  (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘गृहस्थमें कैसे रहें ?’ पुस्तकसे