।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
आश्विन कृष्ण पंचमीवि.सं.२०७३, बुधवार
पंचमी श्राद्ध, षष्ठी श्राद्ध
गृहस्थोंके लिये


(गत ब्लॉगसे आगेका)

परिवार-नियोजनके समर्थक कहते हैं कि जनसंख्या बढ़नेपर लोग भूखों मरेंगे, पर हम बहुत कहते हैं कि जनसंख्या कम होनेपर लोग भूखों मरेंगे, कारण कि खेती करनेके लिये आज भी आदमी कम मिलते हैं, फिर भविष्यमें जनसंख्या और कम होनेपर आदमी कैसे मिलेंगे ? जो आदमी मिलते भी हैं, वे भी पैसा तो पूरा लेते हैं, पर लगन और परिश्रमके साथ काम नहीं करते । यह प्रत्यक्ष बात है कि घरके आदमी (बेटे) जितनी लगन और परिश्रमके साथ काम करते हैं, उतना मजदूर या नौकर नहीं करते । विदेशी विशेषज्ञोंका अनुमान है कि यदि एक हजार ऐसे व्यक्ति हैं, जिनकी केवल दो-दो सन्तानें हैं तो तीस वर्ष बाद उनकी संख्या करने घटकर ३३१ रह जायगी, साठ वर्ष बाद उनकी संख्या रनको घटकर १८६ रह जायेगी और डेढ़ सौ वर्ष बाद उनकी नहीं संख्या घटकर केवल ९२ रह जायगी । जनसंख्या अधिक कम होनेपर लोग अकाल, बाढ़, भूकम्प आदि प्राकृतिक प्रकोपोंसे तथा शत्रुओंसे अपनी रक्षा नहीं कर पाते और परिणामस्वरूप अपने अस्तित्वको ही नष्ट कर देते हैं । अतः जो जाति परिवार-नियोजनको अपनाती है, वह वास्तवमें आत्महत्या करती है ।

अमेरिकाने जापानपर जो एटम बम फेंका था, वह बीस हजार टीएनटी की शक्तिका था और उससे ७८, १५० व्यक्ति मर गये, ३७,४२५ व्यक्ति घायल हो गये तथा १३,०८३ व्यक्ति लापता हो गये । परन्तु आज  दस करोड़ टीएनटी या इससे भी अधिक शक्तिशाली एटम बम बनाये जा रहे हैं । अगर भविष्यमें इस तरहके विनाशकारी अस्त्रोंसे युद्ध लड़ा गया तो युद्धकी लपेटमें आनेवाले देशोंकी जनसंख्या सहसा कितनी कम हो जायगी‒इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता । जिस देशकी जनसंख्या पहलेसे ही कम की जा रही है, उसका तो ऐसे युद्धमें सर्वथा विनाश ही निश्रित है !

लगभग दो हजार वर्ष पूर्व यूनानमें भी गर्भपात आदिका प्रचलन हो गया था और उसकी जनसंख्या कम हो रही थी । उसी समय वहाँ गृहयुद्ध छिड़ गया । इस दुगुने नुकसानको यूनान सह नहीं सका और परिणाममें उसको दूसरोंका गुलाम बनकर रहना पड़ा । किसी समय फ्राँसकी गणना संसारकी मुख्य शक्तियोंमें होती थी । परन्तु जब वह विश्वयुद्धमें पराजित हो गया, तब मार्शल पीताने स्पष्ट शब्दोंमें स्वीकार किया कि ‘इस पराजयका मूल कारण हमारी जनसंख्याका कम होना है ।’

  (शेष आगेके ब्लॉगमें)

‒‘देशकी वर्तमान दशा तथा उसका परिणाम’ पुस्तकसे