।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
आश्विन कृष्ण अष्टमी, वि.सं.२०७३, शनिवार
नवमी श्राद्ध, मातृनवमी
गृहस्थोंके लिये


(गत ब्लॉगसे आगेका)

डॉ मेरी शारलीबने अपने चालीस वर्षोंके अनुभवके आधारपर लिखा है कि ‘सन्तति-निरोधके उपायोंको काममें लेते रहनेका अनिवार्य परिणाम यह होता है कि स्त्रीमें प्रसन्नताकी कमी, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, उद्विग्रता, हृदय एवं मस्तिष्ककी कमजोरी, रक्त प्रवाहकी कमी, हाथ-पैरोंमें सुन्नता, मासिक धर्मकी अनियमितता आदि दोष उत्पन्न हो जाते हैं ।’ अन्य डॉक्टरोंने भी यह मत प्रकट किया है कि सन्तति-निरोधके उपायोंसे स्त्रीमें स्मरणशक्ति क्षीण होना, पागलपन, स्वभावमें उत्तेजना, मासिक धर्मका कष्टपूर्वक एवं अनियमितरूपसे आना, कमरमें दर्द होना, मुखकी शोभा तथा सौन्दर्य नष्ट होना आदि दोष उत्पन्न होते हैं । यदि वह स्त्री कभी गर्भवती होती है तो उसको गर्भावस्थामें तथा प्रसवकालमें अधिक कष्ट उठाना पड़ता है । डॉ आर्नल्ड लोरेण्डने अपनी पुस्तक ‘लाइफ शॉर्टनिग हेबिट्‌स एण्ड रिजूविनेशन’ में सन्तति-निरोधके उपायोंसे होनेवाली हानियोंका विस्तारसे वर्णन किया है । सन्तति-निरोधके उपायोंके विषयमें डॉक्टरोंका मत है कि ‘इनमेंसे कोई भी उपाय विश्वसनीय और हानिरहित नहीं है ।’ इंग्लैण्डके डॉक्टर रेनियल डयूक्स आदिका मत है कि ‘सन्तति-निरोधक गोलियोंके प्रयोगसे कैंसर-जैसा भयंकर रोग भी पैदा हो सकता है !’

तात्पर्य यह हुआ कि अपने सुखभोगके लिये किया हुआ सन्तति-निरोध आरम्भमें तो मूर्खतावश अमृतकी तरह प्रतीत होता है, पर परिणाममें वह विषकी तरह विनाशकारी होता है । गीतामें भगवान् कहते हैं‒

विषयेन्द्रियसंयोगाद्यत्तदग्रेऽमृतोपमम्   ।
परिणामे विषमिव तत्त्व राजसं स्मृतम् ॥
                                               ( १८ । ३८)

‘जो सुख इन्द्रियों और विषयोंके संयोगसे आरम्भमें अमृतकी तरह और परिणाममें विषकी तरह होता है, वह सुख राजस कहा गया है ।’

          परिवार-नियोजनके दुष्परिणाम भुगत चुके देशोंकी प्रतिक्रिया

परिवार-नियोजनके दुष्परिणाम भुगतनेके बाद अनेक देशोंने सन्तति-निरोधपर प्रतिबन्ध लगा दिया और जनसंख्या-वृद्धिके उपाय लागू कर दिये । जर्मनीकी सरकारने सन्तति-निरोधके उपायोंके प्रचार एवं प्रसारपर रोक लगा दी और विवाहको प्रोत्साहन देनेके लिये विवाह-ऋण देने शुरू कर दिये । सन् १९३५ में एक कानून बनाया गया, जिसके अनुसार एक बच्चा पैदा होनेपर इन्कम टैक्समें १५ प्रतिशत छूट, दो बच्चे होनेपर ३५ प्रतिशत छूट, तीन बच्चे होनेपर ५५ प्रतिशत छूट चार बच्चे होनेपर ७५ प्रतिशत छूट, पाँच बच्चे होनेपर ९५ प्रतिशत छूट और छ: बच्चे होनेपर इन्कम टैक्स माफ कर देनेकी बात कही गयी । इससे वहाँकी जनसंख्यामें पर्याप्त वृद्धि हुई ।

  (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘देशकी वर्तमान दशा तथा उसका परिणाम’ पुस्तकसे