।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
आश्विन शुक्ल द्वादशी, वि.सं.२०७३, गुरुवार
महापापसे बचो




(गत ब्लॉगसे आगेका)

जो स्त्रियों नसबन्दी ऑपरेशन करा लेती हैं, उनका स्त्रीत्व अर्थात् गर्भ-धारण करनेकी शक्ति नष्ट हो जाती है । ऐसी स्त्रियोंका दर्शन भी अशुभ है, अपशकुन है । भगवान्‌की दी हुई शक्तिका नाश करनेका किसीको भी अधिकार नहीं है । उसका नाश करना अनधिकार चेष्टा है, अपराध है । जिन्होंने ऑपरेशनके द्वारा अपना स्त्रीत्व नष्ट किया है, वे तो पापकी भागिनी हैं ही, पर जो दूसरोंको ऑपरेशन करवानेकी प्रेरणा करती हैं, आग्रह करती हैं, वे नया पाप करती हैं । जैसे गीताके अध्ययनका बड़ा माहात्म्य है, पर उससे भी अधिक गीताके प्रचारका माहात्म्य है (गीता १८ । ६९), ऐसे ही जो दूसरोंमें ऑपरेशनका प्रचार करती हैं, वे बड़ा भारी पाप करती हैं और गोघातकोंकी संख्या बढ़ानेमें सहायक होनेसे गोहत्याके पापमें भागीदार होती हैं । भोली बहनोंको इस बातका पता नहीं है, इसलिये वे अनजानमें बड़ा भारी अपराध, पाप कर बैठती हैं । उन्हें इस पापसे बचना चाहिये ।

जो कोई भी किसी प्रकारका अपराध करता है, उसकी प्राण-शक्तिका जल्दी नाश हो जाता है और उसकी मृत्यु जल्दी हो जाती है । अपराध, पाप करनेपर अथवा उसको करनेकी मनमें आनेपर श्वास तेजीसे चलने लगते हैं, प्राण क्षुब्ध हो जाता है‒यह प्रत्यक्ष बात है । कोई भी अनुभव करके देख सकता है ।

नसबन्दी ऑपरेशन कराना व्यभिचारको खुला अवसर देना है, जो बड़ा भारी पाप है । पशुओंकी बलि देने, वध करनेको ‘अभिचार’ कहते हैं । उससे भी जो विशेष अभिचार होता है उसको ‘व्यभिचार’ कहते हैं । इससे मनुष्यकी धार्मिक, पारमार्थिक रुचि (भावना) नष्ट हो जाती है और उसका महान् पतन हो जाता है ।

मनुष्य-शरीर केवल परमात्मप्राप्तिके लिये ही मिला है, पर उसको परमात्माकी तरफ न लगाकर केवल भोग भोगनेमें ही लगाना और इतना ही नहीं, केवल भोग भोगनेके लिये बड़े-बड़े पाप करना, गर्भपात करना, नसबन्दी करना, ऑपरेशन करना कितने भारी अनर्थकी बात है ! गर्भपात, नसबन्दी आदि करनेसे सिवाय भोग भोगनेके और क्या सिद्ध होता है ? नसबन्दीसे क्या किसीको कोई धार्मिक-पारमार्थिक लाभ हुआ है, होगा और हो सकता है ? नसबन्दी करनेसे केवल भोगपरायणता ही बढ़ रही है । जितनी भोगपरायणता आज मनुष्योंमें हो रही है, उतनी पशुओंमें भी नहीं है । यदि आप सन्तान नहीं चाहते तो संयम रखो, जिससे आपके शरीरमें बल रहेगा, उत्साह रहेगा और आपमें धर्म-परायणता, ईश्वर-परायणता आयेगी । आपका मनुष्यजन्म सफल हो जायगा ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘गृहस्थमें कैसे रहें ?’ पुस्तकसे