।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी, वि.सं.२०७३, शुक्रवार
धनतेरस, धन्वन्तरी-जयन्ती, नरकचतुर्दशी
स्त्री-सम्बन्धी बातें


(गत ब्लॉगसे आगेका)

कोई जबर्दस्ती किसीके मुखमें गोमांस भी दे दे, तो भी वह उसका धर्म नहीं छुड़ा सकता । अतः यदि उस स्त्रीका मन नहीं बिगड़ा है, उसने संगका सुख नहीं लिया है तो उसका पातिव्रतधर्म नष्ट नहीं हुआ है । इसलिये यदि वह वापिस आ जाय तो उसको गीता, रामायण, भागवत आदिके पाठद्वारा तथा गंगागंगाजलसे स्नान कराकर शुद्ध कर लेना चाहिये । यह सब करनेके बाद जब वह रजस्वला हो जायगी, तब वह सर्वथा शुद्ध हो जायगी‒‘रजसा शुद्ध्यते नारी ।’

जमदग्नि ऋषिकी पत्नी रेणुका प्रतिदिन अपने पातिव्रत-धर्मके प्रभावसे कपड़ेमें जल भरकर लाया करती थी । एक दिन उसको नदीके किनारेपर सोनेकी तरह चमकीले एवं सुन्दर बाल दीखे । उसके मनमें आया कि ये बाल इतने सुन्दर हैं तो वह पुरुष कितना सुन्दर होगा ! इस तरह मनमें विकार आते ही उसका धर्म नष्ट हो गया और वह पहलेकी तरह कपड़ेमें जल भरकर नहीं ला सकी ।

इन्द्रने गौतम ऋषिका रूप धारण करके अहल्याको भ्रष्ट किया तो उसका धर्म भ्रष्ट नहीं हुआ, प्रत्युत एक पतिव्रत नष्ट हुआ । यद्यपि पतिने क्रोधमें आकर उसको पत्थरका बना दिया, तथापि भगवान् रामने उसका उद्धार कर दिया; क्योंकि वह अपने धर्ममें दृढ़ थी ।

गीताप्रेसके संस्थापक श्रीजयदयालजी गोयन्दका शुद्धि एवं पवित्रताका बहुत खयाल रखा करते थे । उन्होंने भी कहा था कि विधर्मियोंने जबर्दस्ती करके जिन स्त्रियोंको भ्रष्ट किया है, उनका धर्म भ्रष्ट नहीं हुआ है । अतः यदि वे हिन्दूधर्ममें आना चाहें तो उनको ले लेना चाहिये और गंगास्नान, गीता‒रामायणपाठ आदिसे शुद्ध करा लेना चाहिये । उन्होंने यह भी कहा था कि यदि दूसरे धर्मको माननेवाला व्यक्ति हिन्दूधर्ममें आना चाहे तो उसको ले लेना चाहिये अर्थात् वह भी हिन्दू हो सकता है और हिन्दूधर्मकी पद्धतिके अनुसार जप-ध्यान, पूजा-पाठ आदि कर सकता है ।

प्रश्न‒पत्नी अपनी इच्छासे कहीं चली जाय और फिर लौट आये तो क्या करना चाहिये ?

उत्तर‒उसको अपनी पत्नी नहीं मानना चाहिये, उसके साथ पत्नी-जैसा व्यवहार नहीं करना चाहिये । जैसे, सन्त कूबाजी महाराजकी पत्नी उनको छोड़कर दूसरेके पास चली गयी । वहाँ उसकी सन्तान भी हो गयी । परन्तु उसका वह पति मर गया । अब उसके लिये जीवन-निर्वाह करना भी बड़ा मुश्किल हो गया । अतः वह पुनः कूबाजीके पास आ गयी । कूबाजीने उसके निर्वाहके लिये अन्न, जल, वस्त्र आदिका प्रबन्ध कर दिया, पर उसको अपनी पत्नी नहीं माना ।

प्रश्न‒पति दुश्चरित्र हो तो पत्नीको क्या करना चाहिये ?

उत्तर‒पत्नीको दुश्चरित्र पतिका त्याग नहीं करना चाहिये, प्रत्युत अपने पातिव्रतधर्मका पालन करते हुए उसको समझाना चाहिये । जैसे, मन्दोदरीने रावणको समझाया, पर उसका त्याग नहीं किया ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘गृहस्थमें कैसे रहें ?’ पुस्तकसे