।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
आश्विन शुक्ल सप्तमी, वि.सं.२०७३, शनिवार
महापापसे बचो




(गत ब्लॉगसे आगेका)

परस्त्रीगमन करना भी महापाप है, इसलिये इसको व्यभिचार अर्थात् विशेष अभिचार (हिंसा) कहा गया है । अगर पुरुष परस्त्रीगमन करता है अथवा स्त्री परपुरुषगमन करती है तो माँ-बाप, भाई-बहन आदिको तथा ससुरालमें पति, सास-ससुर, देवर आदिको महान् दुःख होता है । इस प्रकार दो परिवारोंको दुःख देना पाप है और निषिद्ध भोग भोगकर शास्त्र, धर्म, समाज, कुल आदिकी मर्यादाका नाश करना भी पाप है । ये दोनों पाप एक साथ बननेसे परस्त्रीगमन अथवा परपुरुषगमन करना विशेष अभिचार है, महापाप है । एक बुद्धिमान् सज्जनने अपना अनुभव बताया था कि परस्त्रीगमन करनेसे हृदयका आस्तिकभाव नष्ट हो जाता है और नास्तिकभाव आ जाता है, जो कि महान् अनर्थका मूल है ।

हिन्दू, मुसलमान, ईसाई आदि कोई भी क्यों न हो, सभीको ऐसे महापापोंका त्याग करना चाहिये । मनुष्य-शरीर मिला है तो कम-से-कम महापापोंसे तो बचना ही चाहिये; जिससे आगे दुर्गति न हो, भूत-प्रेत आदि योनियोंकी प्राप्ति न हो ।

गर्भपात महापापसे दुगुना पाप है

जैसे ब्रह्महत्या महापाप है, ऐसे ही गर्भपात भी महापाप है । शास्त्रमें तो गर्भपातको ब्रह्महत्यासे भी दुगुना पाप बताया गया है‒

यत्पापं    ब्रह्महत्याया     द्विगुणं     गर्भपातने ।
प्रायश्चित्तं न तस्यास्ति तस्यास्त्यागो विधीयते ॥
                                         (पाराशरस्मृति ४ । २०)

‘ब्रह्महत्यासे जो पाप लगता है, उससे दुगुना पाप गर्भपात करनेसे लगता है । इस गर्भपातरूपी महापापका कोई प्रायश्चित्त नहीं है, इसमें तो उस स्त्रीका त्याग कर देनेका ही विधान है ।’

भगवान् विशेष कृपा करके जीवको मनुष्य-शरीर देते हैं, पर नसबन्दी, आपरेशन, गर्भपात, लूप, गर्भनिरोधक दवाओं आदिके द्वारा उस जीवको मनुष्य-शरीरमें न आने देना, उस परवश जीवको जन्म ही न लेने देना, जन्मसे पहले ही उसको नष्ट कर देना बड़ा भारी पाप है । उसने कोई अपराध भी नहीं किया, फिर भी उस निर्बल जीवकी हत्या कर देना उसके साथ कितना बड़ा अन्याय है । वह जीव मनुष्य-शरीरमें आकर न जाने क्या-क्या अच्छे काम करता, समाजकी सेवा करता, अपना उद्धार करता, पर जन्म लेनेसे पहले ही उसकी हत्या कर देना घोर अन्याय है, बड़ा भारी पाप है । अपना उद्धार, कल्याण न करना भी दोष, पाप है, फिर दूसरोंको भी उद्धारका मौका प्राप्त न होने देना कितना बड़ा पाप है ! ऐसा महापाप करनेवाले स्त्री-पुरुषकी अगले जन्मोंमें कोई सन्तान नहीं होगी । वे सन्तानके बिना जन्म-जन्मान्तरतक रोते रहेंगे ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)

‒‘गृहस्थमें कैसे रहें ?’ पुस्तकसे