।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्दशी, वि.सं.२०७३, मंगलवार
पूर्णिमा
लड़ाई-झगड़ेका समाधान


  (गत ब्लॉगसे आगेका)

प्रश्न‒बड़ा भाई माता-पितासे लड़े तो छोटे भाइयोंका क्या कर्तव्य है ?

उत्तर‒छोटे भाई बड़े भाईके चरणोंमें प्रणाम करके प्रार्थना करें कि भाई साहब ! आप ऐसा बर्ताव करोगे तो हमलोग किसको आदर्श मानेंगे ? अतः आप हमलोगोंपर कृपा करके माँ-बापके साथ अच्छा-से-अच्छा बर्ताव करो । ऐसा करनेसे आपको दो प्रकारसे लाभ होगा, एक तो आपके अच्छे बर्तावका कुटुम्बपर, मोहल्लेपर अच्छा असर पड़ेगा और दूसरा, आपके आचरणोंको देखकर हमलोग भी वैसा ही आचरण करेंगे, जिसका आपको पुण्य होगा । अतः आपका आचरण आदर्श होना चाहिये । हम तो आपसे केवल प्रार्थना ही कर सकते हैं; क्योंकि आप हमारे पिताके समान हैं ।’

प्रश्न‒छोटे भाई माता-पितासे लड़े तो बड़े भाईका क्या कर्तव्य है ?

उत्तर‒बड़ा भाई छोटे भाइयोंको समझाये कि देखो भाई ! मैं और आप सब बालक हैं । माता-पिता हमारे लिये सर्वथा आदरणीय हैं, पूज्य हैं । जिस शरीरसे हम भगवत्प्राप्ति कर सकते हैं, वह हमें माता-पिताकी कृपासे ही मिला है । हम उनके ऋणसे कभी मुक्त नहीं हो सकते । हाँ, हम उनके अनुकूल होंगे तो उनके राजी होनेसे वह ऋण माफ हो सकता है । हम अपने चमड़ेकी जूती बनाकर माता-पिताको पहना दें तो भी उनका ऋण नहीं चुका सकते; क्योंकि वह चमड़ा आया कहाँसे ? उनकी वस्तु ही उनको दी है, हमने अपना क्या दिया ? उनकी वस्तुको हम अपना मानते हैं, यही गलती है । वे हमारेको चाहे जैसा रखें, उनका हमपर पूरा अधिकार है ।’

प्रश्न‒बहन माता-पितासे लड़े तो भाईका क्या कर्तव्य है ?

उत्तर‒ भाई न्याय देखे और न्यायमें भी वह बहनका पक्ष ले और माता-पितासे कहे कि यह तो अतिथिकी तरह आयी है । इसका लाड़-प्यार करना चाहिये । परन्तु बहनका अन्याय हो तो बहनको एकान्तमें समझाये कि बहन ! आपसमें प्रेमकी ही महिमा है, कलहकी नहीं । माँ-बाप आदरणीय हैं । अतः तुम और हम सब माँ-बापका आदर करें । तुच्छ चीजोंके लिये उनका निरादर क्यों करें ?

प्रश्न‒छोटा भाई भौजाईसे लड़े तो बड़े भाईका क्या कर्तव्य है ?

उत्तर‒बड़ा भाई छोटे भाईको धमकाये कि तुम क्या कर रहे हो ? शास्त्रकी दृष्टिसे बड़े भाईकी स्त्री माँके समान होती है । लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्नने सीताजीके साथ कैसा बर्ताव किया था; उनके चरित्रोंको बार-बार पढ़ो और मनन करो, जिससे तुम्हारे भीतर निर्मल भाव पैदा होंगे, तुम्हारी बुद्धि स्वाभाविक ही शुद्ध हो जायगी ।’

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘गृहस्थमें कैसे रहें ?’ पुस्तकसे