।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
पौष शुक्ल अष्टमी, वि.सं.२०७३, शुक्रवार
गीतामें फलसहित विविध उपासनाओंका वर्णन


  (गत ब्लॉगसे आगेका)

प्रश्र‒ब्रह्मराक्षस-(जिन्न-)से छुटकारा पानेके क्या उपाय है ?

उत्तर‒(क) जो भगवान्‌के भजनमें तत्परतासे लगे हुए हैं, साधनमें जिनकी अच्छी स्थिति है, जिनमे भजन-स्मरणका जोर है, उन साधकोंके पास जानेसे ब्रह्मराक्षस भाग जाते हैं; क्योंकि भागवती शक्तिके सामने उनकी शक्ति काम नहीं करती ।

(ख)‒अगर ब्रह्मराक्षससे ग्रस्त व्यक्ति किसी सिद्ध महापुरुके पास चला जाय तो वह व्यक्ति उस ब्रह्मराक्षससे छूट जाता है और उस ब्रह्मराक्षसका भी उद्धार हो जाता है ।

(ग)‒अगर ब्रह्मराक्षस गयाश्राद्ध कराना स्वीकार कर ले तो उसके नामसे गयाश्राद्ध कराना चाहिये । इससे उसकी सद्‌गति हो जायगी ।

प्रश्र‒भूत -प्रेत किन लोगोंके पास नहीं आते ?

 उत्तर‒भूत-प्रेतोंका बल उन्हीं मनुष्योंपर चलता है, जिनके साथ पूर्वजन्मका कोई लेन-देनका सम्बन्ध रहा है अथवा जिनका प्रारब्ध खराब आ गया है अथवा जो भगवान्‌के (पारमार्थिक) मार्गमें नहीं लगे हैं अथवा जिनका खान-पान अशुद्ध है और जो शौच-स्नान आदिमें शुद्धि नहीं रखते अथवा जिनके आचरण खराब हैं । जो भगवान्‌के परायण हैं, भगवन्नामका जप-कीर्तन करते हैं, भगवत्कथा सुनते है, खान-पान, शौच-स्नान आदिमें शुद्धि रखते हैं, जिनके आचरण शुद्ध है, उनके पास भूत-प्रेत प्रायः नहीं आ सकते ।  

जो नित्यप्रति श्रद्धासे गीता, भागवत, रामायण आदि सद्‌ग्रन्थोंका पाठ करते हैं, उनके पास भी भूत-प्रेत नहीं जाते । परन्तु कई भूत-प्रेत ऐसे होते हैं, जो स्वयं गीता, रामायण आदिका पाठ करते हैं । ऐसे भूत-प्रेत पाठ करनेवालोंके पास जा सकते हैं, पर उनको दुःख नहीं दे सकते । अगर ऐसे भूत-प्रेत गीता आदिका पाठ करनेवालोंके पास आ जायँ तो उनका निरादर नहीं करना चाहिये; क्योंकि निरादर करनेसे वे चिढ़ जाते हैं ।

जो रोज गंगाजलका चंरणामृत लेता है, उसके पास भी भूत-प्रेत नहीं आते । हनुमानचालीसा अथवा विष्णुसहस्रनामका पाठ करनेवालेके पास भी भूत-प्रेत नहीं आते । एक बार दो सज्जन बैलगाड़ीपर बैठकर दूसरे गाँव जा रहे थे । रास्तेमें गाड़ीके पीछे एक पिशाच (प्रेत) लग गया । उसको देखकर वे दोनों सज्जन डर गये । उनमेंसे एक सज्जनने विष्णुसहस्रनामका पाठ शुरू कर दिया । जबतक दूसरे गाँवकी सीमा नहीं आयी, तबतक वह पिशाच गाड़ीके पीछे-पीछे ही चलता रहा । सीमा आते ही वह अदृश्य हो गया । इस तरह विष्णुसहस्रनामके प्रभावसे वह गाड़ीपर आक्रमण नहीं कर सका ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒ ‘गीता-दर्पण’ पुस्तकसे