।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
आजकी शुभ तिथि
चैत्र शुक्ल चतुर्दशी, वि.सं.२०७४, सोमवार
व्रत-पूर्णिमा
आवश्यक चेतावनी



‒ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा विचार करें

१०. उत्पादनको तो बढ़ाना चाहते हैं, पर उत्पादक-शक्ति (जनसंख्या) का ह्रास कर रहे हैं‒यह कैसी बुद्धिमानी है ?

११. एक-दो सन्तान होगी तो घरका काम ही पूरा नहीं होगा, फिर समाजका काम कौन करेगा ? खेती कौन करेगा ? सेनामें कौन भरती होगा ? सच्चा मार्ग बतानेवाला साधु कौन बनेगा ? बूढ़े माँ-बापकी सेवा कौन करेगा ?

१२. जन्मपर तो नियन्त्रण, पर मौतपर कोई नियन्त्रण नहीं‒यह कैसी बुद्धिमानी ? जो मृत्युपर नियन्त्रण नहीं रख सकता, उसको जन्मपर भी नियन्त्रण रखनेका अधिकार नहीं है । अगर वह ऐसा करेगा तो इसका परिणाम नाश-ही-नाश होगा !

१३. जन्म-मरणका कार्य (जनसंख्याका नियन्त्रण) मनुष्यके हाथमें नहीं है, प्रत्युत सृष्टिकी रचना करनेवाले ईश्वर और प्रकृतिके हाथमें है । ईश्वर और प्रकृतिके विधानसे जनसंख्याका नियन्त्रण अनादिकालसे स्वतः-स्वाभाविक होता आया है । अगर मनुष्य उनके विधानमें हस्तक्षेप करेगा तो इसका परिणाम बड़ा भयंकर होगा ।

१४. कुत्ते, बिल्ली, सूअर आदिके एक-एक बारमें कई बच्चे होते हैं और वे सन्तति-निरोध भी नहीं करते, फिर भी उनसे सब सड़कें, गलियाँ भरी हुई नहीं दीखतीं । उनकी संख्याका नियन्त्रण जिस शक्तिके द्वारा होता है, उसीके द्वारा मनुष्योंकी संख्याका भी नियन्त्रण होता है । इसकी जिम्मेवारी मनुष्योंपर है ही नहीं ।

१५. गर्भ-स्थापन कर सकनेके सिवाय कोई पुरुषत्व नहीं है और गर्भधारण कर सकनेके सिवाय कोई स्त्रीत्व नहीं है । अगर पुरुषमें पुरुषत्व न रहे और स्त्रीमें स्त्रीत्व न रहे तो वे मात्र भोगी जीव ही रहे; न मनुष्य रहे, न मनुष्यता रही !

१६. जिसका मरना निश्चित है, उसके भरोसे सन्तति-निरोध करा लेना कितनी बेसमझीकी बात है ! अभी एक-दो सन्तान है, वह अगर मर जाय तो क्या दशा होगी ?

१७. मनुष्योंमें हिन्दू जाति सर्वश्रेष्ठ है । इसमें बड़े विलक्षण-विलक्षण ऋषि-मुनि, सन्त-महात्मा, दार्शनिक, वैज्ञानिक, विचारक पैदा होते आये हैं । जब इस जातिके मनुष्योंको जन्म ही नहीं लेने देंगे तो फिर ऐसे श्रेष्ठ, विलक्षण पुरुष कैसे और कहाँ पैदा होंगे ?


१८. वर्तमान वोट-प्रणालीका जनसंख्याके साथ सीधा सम्बन्ध है । अतः जिस जातिकी जनसंख्या अधिक होती है, वही जाति बलवान् होकर (वोटके बलपर) देशपर राज्य करती है । जो जाति परिवार-नियोजनको अपनाती है, वह परिणाममें अपने अस्तित्वको ही नष्ट कर देती है । वर्तमानमें परिवार-नियोजन और धर्मान्तरणके द्वारा हिन्दुओंकी संख्या तेजीसे कम हो रही है । फिर किसका राज्य होगा और क्या दशा होगी ? जरा सोचो !

    (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒ ‘आवश्यक चेतावनी’ पुस्तकसे