।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
वैशाख कृष्ण द्वितीया, वि.सं.२०७३, गुरुवार
चेतावनी



मृत्युकालकी सब सामग्री तैयार है । कफन भी तैयार है, नया नहीं बनाना पड़ेगा । उठानेवाले आदमी भी तैयार हैं, नये नहीं जन्मेंगे । जलानेकी जगह भी तैयार है, नयी नहीं लेनी पड़ेगी । जलानेके लिये लकड़ी भी तैयार है, नये वृक्ष नहीं लगाने पड़ेंगे । केवल श्वास बन्द होनेकी देर है । श्वास बन्द होते ही यह सब सामग्री जुट जायगी । फिर निश्रिन्त कैसे बैठे हो ?
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चेत करो ! यह संसार सदा रहनेके लिये नहीं है । यहाँ केवल मरने-ही-मरनेवाले रहते हैं । फिर पैर फैलाये कैसे बैठे हो ?
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विचार करो, क्या ये दिन सदा ऐसे ही रहेंगे ?
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मकान यहाँ बना रहे हो, सजावट यहाँ कर रहे हो, संग्रह यहाँ कर रहे हो, पर खुद मौतकी तरफ भागे चले जा रहे हो ! जहाँ जाना है, पहले उसको ठीक करो !
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निश्चित समयपर चलनेवाली गाड़ीके लिये भी जब पहलेसे सावधानी रहती है, फिर जिस मौतरूपी गाड़ीका कोई समय निश्चित नहीं, उसके लिये तो हरदम सावधानी रहनी चाहिये ।
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 ‘करेंगे’यह निश्चित नहीं है पर ‘मरेंगे’यह निश्चित है ।
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आप भगवान्‌को नहीं देखते, पर भगवान् आपको निरन्तर देख रहे हैं ।
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आनेवाला जानेवाला होता है‒यह नियम है ।
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कालरूप अग्निमें सब कुछ निरन्तर जल रहा है फिर किसका भरोसा करें ? किसकी इच्छा करें ?
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  (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘अमृतबिन्दु’ पुस्तकसे