।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
वैशाख कृष्ण चतुर्दशी, वि.सं.२०७३, मंगलवार
बिन्दुमें सिन्धु



(गत ब्लॉगसे आगेका)

श्रोता‒भगवान्‌के प्रेमके अलावा भी उनकी प्राप्तिका कोई उपाय है क्या ?

स्वामीजी‒हाँ, कर्मयोग और ज्ञानयोग उपाय है । भगवान्‌में प्रेम होना भक्तियोग है ।

श्रोता‒संसारके सम्बन्धका जो प्रभाव है, वही मन है और परमात्माके सम्बन्धका जो प्रभाव है, वही साधन है‒इसे समझना चाहते हैं ।

स्वामीजी‒मन कोई तत्त्व नहीं है । प्रभाव पड़नेसे ही मन अच्छा या मन्दा होता है । प्रभाव पड़े बिना मन क्या करे ? मन न भजन करता है, न संसारका काम करता है । इसपर प्रभाव पड़ता है, तभी काम करता है । इसपर संसारका प्रभाव पड़ता है तो यह संसारकी तरफ जाता है, भगवान्‌का प्रभाव पड़ता है तो भगवान्‌की तरफ जाता है ।

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श्रोता‒यहाँ प्रतिदिन बड़ी संख्यामें गोहत्या हो रही है ! आपसे प्रार्थना है कि गोरक्षाके लिये प्रेरणा करें ।

स्वामीजी‒वास्तवमें किसी भी जीवको कष्ट देना शास्त्र-निषिद्ध है । आपको कोई मारे तो आपको अच्छा लगता है क्या ? अच्छा नहीं लगता तो किसीको भी मत मारो । आपको जो बुरा लगे, वह दूसरोंके प्रति मत करो‒यह धर्मका सार है । किसी भी जीवका नाश मत करो । किसीकी भी हिंसा करना पाप है, अन्याय है । जैसे आपको प्राण प्यारे हैं, ऐसे सबको प्राण प्यारे हैं । जीवोंकी हत्या करनेसे अन्तमें दुःख पाना पड़ेगा । यहाँ बच जाओ तो यमराजके यहाँ दुःख पाना पड़ेगा ।


सब पशुओंमें गायके द्वारा दूसरोंका बहुत ज्यादा हित होता है, इसलिये उसकी हत्याका बहुत ज्यादा पाप है । गायकी तो हवा लगनेसे मनुष्य पवित्र हो जाता है ! जो बड़े-बड़े रोगी हैं, वे रोजाना जाकर सुबह और शाम दोनों समय गायको सहलायें, प्यार करें, पैर दबायें तो उनका रोग मिट जायगा, आप करके देख लो ! गायकी रक्षा करनेसे बहुत लाभ होता है । मनुष्य गायकी रक्षा करे तो वह भी मनुष्यकी रक्षा करती है । ऐसी अनेक घटनाएँ हुई हैं । इसलिये गायकों मारना बहुत बड़ा पाप है । हिंसाका परिणाम बहुत खराब होता है । आप गायोंको बचानेका उद्योग करो, नहीं तो देशकी बड़ी दुर्दशा होगी ! बड़ा भारी उपद्रव होगा ! आप गायोंकी रक्षा करो तो आपका देश सुरक्षित होगा ।

    (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒ ‘बिन्दुमें सिन्धु’ पुस्तकसे