।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
आजकी शुभ तिथि
चैत्र शुक्ल त्रयोदशी, वि.सं.२०७४, रविवार
श्रीमहावीर जयन्ती
आवश्यक चेतावनी



‒ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा विचार करें

१.परिवार-नियोजन कार्यक्रमसे जीवन-निर्वाहके साधनोंमें तो वृद्धि नहीं हुई है, पर ऐसी अनेक बुराइयोंकी वृद्धि अवश्य हुई है, जिनसे समाजका घोर पतन हुआ है ।

२. जीवन-निर्वाहके साधनोंमें कमी (बेरोजगारी, निर्धनता आदि) होनेका कारण जनसंख्याकी वृद्धि नहीं है, प्रत्युत अपने सुखभोगकी इच्छाओंकी वृद्धि है । भोगेच्छाकी वृद्धि होनेसे मनुष्य आरामतलब, आलसी और अकर्मण्य हो जाता है, जिससे वह जीवन-निर्वाहके साधनोंका उपभोग (खर्चा) तो अधिक करता है, पर उत्पादन कम करता है ।

३. परिवार-नियोजनका कारण है कि मनुष्यका न तो ‘ईश्वर’ पर विश्वास है कि ईश्वर सबका पालन करनेवाला है, न अपने ‘भाग्य’ पर विश्वास है कि हरेक व्यक्ति अपने भाग्यके अनुसार पाता है और न अपने ‘पुरुषार्थ’ पर विश्वास है कि मैं अपने पुरुषार्थसे कमाकर परिवारका पालन-पोषण कर सकता हूँ ।

४. सरकारका कर्तव्य अपने देशमें जन्म लेनेवाले प्रत्येक नागरिकके जीवन-निर्वाहका प्रबन्ध करना है, न कि उसके जन्मपर ही रोक लगा देना । जन्मपर रोक लगाना वास्तवमें अपनी पराजय (प्रबन्ध करनेमें असमर्थता) स्वीकार करना है ।

५. जनताकी आवश्यकताओंके अनुसार जीवन-निर्वाहके साधनोंमें वृद्धि न करके जनसंख्याको ही कम करना वैसे ही है, जैसे शरीरपर कोई कपड़ा ठीक न आये तो कपड़ेका आकार ठीक करनेकी अपेक्षा शरीरको ही काटकर छोटा करना ! अथवा भोजनालयमें ज्यादा आदमी आने लगें तो ज्यादा भोजन न बनाकर आदमियोंको ही मारना शुरू कर देना !

६. मनुष्योंको पैदा होनेसे रोककर अधिक अन्न पैदा करनेकी चेष्टा वैसे ही है, जैसे बच्चेको गर्भमें न आने देकर माँका दूध अधिक पैदा करनेकी चेष्टा करना !

७. जहाँ वृक्ष अधिक होते हैं, वहाँ वर्षा अधिक होती है, फिर मनुष्य अधिक होंगे तो क्या अन्न अधिक नहीं होगा ? प्रत्यक्ष बात है कि पहले जनसंख्या कम थी तो अनाज विदेशोंसे मँगाना पड़ता था; परन्तु अब जनसंख्या बढ़ गयी तो अनाज, फल आदि वस्तुएँ विदेशोंमें भेजी जाती हैं ।

८. आवश्यकता ही आविष्कारकी जननी है । यदि जनसंख्या बढ़ेगी तो उसके पालन-पोषणके साधन भी बढ़ेंगे, अन्नकी पैदावार भी बढ़ेगी, वस्तुओंका उत्पादन भी बढ़ेगा, उद्योग भी बढ़ेगा । फिर जनसंख्या-वृद्धिकी चिन्ता क्यों ?

९. मनुष्यके पास केवल पेट ही नहीं होता, प्रत्युत दो हाथ, दो पैर और एक मस्तिष्क भी होता है, जिनसे वह केवल अपना ही नहीं, प्रत्युत कई प्राणियोंका भरण-पोषण कर सकता है । फिर जनसंख्या-वृद्धिकी चिन्ता क्यों ?

    (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒ ‘आवश्यक चेतावनी’ पुस्तकसे