।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी, वि.सं.२०७४, सोमवार
अचला एकादशी-व्रत (सबका)
सबका कल्याण कैसे हो ?



(गत ब्लॉगसे आगेका)

जैसे सभी काम भगवान्‌के हैं, वैसे ही सब समय भी तो भगवान्‌का ही है । यह समय तो भगवद्भजनका है और यह समय अभी काम-धन्धेका है–यह विभाग हम न करें । जब भगवान्‌के भजन करनेका काम भी भगवान्‌का है और यह रसोई बनानेका काम भी भगवान्‌का है, तब यह सब-का-सब समय भी भगवान्‌का ही हुआ । अतः कार्य-विभाग भी नहीं रहा और समय-विभाग भी नहीं रहा । साधक कभी यह समय-विभाग न करे कि यह समय तो भजनका है और यह भजनका नहीं है । हाँ, भजनके रूप अलग-अलग हैं । उस समय नाम-जप, ध्यान आदिका भजन था; अब रसोई बनाना भजन है । विचार करें, भजन नाम किसका है ? भगवान्‌की सेवाका । जब भगवान्‌के लिये काम करते हैं तो वह सेवा ही तो भजन है; अतः भगवान्‌का काम भजन है ही । अब भोजन करना भी भगवान्‌का भजन है, यह समय भी भगवान्‌का है । इसलिये यह नहीं सोचना चाहिये कि भोजन करनेका समय भगवान्‌का नहीं है । ऐसे ही काम-धन्धा करते समय यह अनुभव हो कि सब काम भगवान्‌का है, तो सब-का-सब समय भगवान्‌का हो गया ।

अब आप कहें कि हम सोते हैं तो क्या सोनेका काम भी भगवान्‌का है और क्या सोनेका समय भी भगवान्‌का है ? अवश्य । यह कैसे ? जब आप सोयें, तब यह बात काममें लानेकी है । यह बहुत बढ़िया बात जान पड़ती है । सोयें तब हम नींद लेनेके लिये, आरामके लिये न सोयें । तो किसलिए सोयें ? इतनी देर बैठे हुए, चलते-फिरते हुए काम करते थे भगवान्‌का । अब छः या पाँच घंटा लेटकर भगवान्‌का भजन करना है; क्योंकि यह शरीर भगवान्‌का है । इसे चलाना-फिराना भी इसका काम है, काम-धन्धा करना भी इसका काम है और इसे लंबा डालकर थोड़ा आराम देना भी काम इसीका है । सोकर–नींद लेकर हमें भगवान्‌का भजन करना है, आराम नहीं करना है, सुख नहीं लेना है, ऐसा विचार करते सो जायँ । सोते समय हमें नींद न आ जाय, तबतक भगवान्‌के चरणोंमें पड़े रहें, भगवान्‌का चिन्तन होता रहे, यह अनुभव करते रहें कि हमपर भगवान्‌का कृपामय हाथ है, कृपादृष्टी है । जैसे, माँ अपने बच्‍चेको गोदमें लिये बैठी है, बालक उसके चरणोंमें पड़ा है तो माँकी उसपर कृपा है, वैसे ही मैं भगवान्‌के चरणोंमें पड़ा हूँ, भगवान्‌की मुझपर कृपा है, भगवान्‌ मुझे कृपादृष्टिसे देख रहे हैं, मेरे सिरपर भगवान्‌का हाथ है । इस प्रकार चिन्तन करते हुए उनका नाम लेते रहें । अब यह लेटनेका समय भजन हो गया । ऐसा करते हुए नींद आ गयी तो आ गयी । नींद लेनेकी चिन्ता नहीं कि नींद नहीं आयी । अपने तो नींद लेनेसे मतलब नहीं है, भगवान्‌के चरणोंमें पड़े रहनेसे मतलब है । हम प्रभुके हैं । नींद आ गयी तो प्रभुका नींदरूपी काम कर रहे हैं । नींद नहीं आती तो भी भगवान्‌का ही चिन्तनरूपी काम कर रहे हैं ।

  (शेष आगेके ब्लॉगमें)
–‘एकै साधै सब सधै’ पुस्तकसे