।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि–
  फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी, वि.सं.-२०७४, मंगलवार
श्रीमहाशिवरात्री-व्रत
मैं नहीं, मेरा नहीं 


(गत ब्लॉगसे आगेका)

एक बात आपलोग ध्यान देकर सुनो । अभी हम मान लें कि जो कुछ दीख रहा है, वह साक्षात् परमात्मा है तो अभी प्राप्ति हो जायगी ! मनमें किंचिन्मात्र भी सन्देह नहीं हो । प्यास लगती है तो जलरूपसे भगवान् आते हैं, भूख लगती है तो अन्नरूपसे भगवान् आते हैं, जाड़ा लगता है तो कपड़ारूपसे भगवान् आते हैं । आप जिस चीजकी आवश्यकता समझते हो, उसका रूप धारण करके भगवान् आते हैं । कुछ भी इच्छा नहीं करो तो साक्षात् भगवान् आते हैं ! क्योंकि है ही वही, और कोई है ही नहीं !

सब जग ईस्वररूप है, भलो बुरो नहिं कोय ।
जाकी जैसी  भावना,  तैसो  ही  फल  होय ॥

श्रोतासब कुछ परमात्मा ही हैंयह बात समझमें नहीं आयी !

स्वामीजीसमझमें आये या न आये, सब कुछ परमात्मा ही हैं । वास्तवमें यह बात समझके अन्तर्गत नहीं है, प्रत्युत समझ इसके अन्तर्गत है । इसका अनुभव करनेवाले महात्माको भगवान्ने अत्यन्त दुर्लभ बताया है‘वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः’ (गीता ७ । १९) परन्तु भगवान्ने अपनेको सुलभ बताया है‘तस्याहं सुलभः पार्थ’ (गीता ८ । १४) भगवान् सुलभ हैं, पर महात्मा दुर्लभ है !

समझमें न आये तो भी मान लो कि वास्तवमें है ऐसा ही । कभी भी यह बात नहीं होनी चाहिये कि यह हमारी कल्पना है, हमारी भावना है, हमारा विचार है, हमारी स्वीकृति है । हमारी स्वीकृति हो चाहे न हो, हम समझें चाहे न समझें, हमारी स्थिति हो चाहे न हो, बात तो ऐसी ही है ! बात यही सच्ची है ! फिर भगवान्की कृपासे स्वतः अनुभव हो जायगा ।


भगवान्की कृपा स्वतः-स्वाभाविक होती है । आश्चर्य आयेगा ! मैं तो कोई पात्र भी नहीं, मैंने प्रार्थना भी नहीं की, माँग भी नहीं की, कुछ भी नहीं किया, आँख खुल गयी ! मेरेको कइयोंने पूछा, मैंने कहा कि मैं बता नहीं सकता कि कृपा कैसे हो ? कृपा होती हैयह एकदम पक्की, सच्ची बात है । कृपाके विषयमें मैं कई बातें कहता हूँ पर वास्तवमें भगवान् जानें ! अपने-आप, जबर्दस्ती कृपा होती है ! भगवान्का स्वभाव है । वर्षा काँटोंके वृक्षोंपर भी बरसती है और समुद्रपर भी बरसती है । मैंने समुद्रमें वर्षा बरसते हुए देखी है । इस तरह भगवान्की कृपा विचित्र है ! ‘हे नाथ ! हे नाथ !’ करते रहो । खट हो जायगा ! मोटरको चालू करते हैं तो बीस बार चाबी घुमाते हैं और इक्कीसवीं बार चाबी घुमाते ही खट मोटर चालू हो जाती है ! कितनी बार चाबी घुमानेसे मोटर चालू होगी, इसका पता नहीं । आप चाबी घुमाते जाओ, मोटर चलेगी जरूर ! मोटर खराब होनेपर नहीं भी चले, पर यह (पुकार) कभी खराब नहीं होती ! ‘रामजी से लगे रहो भाई तेरी बिगड़ी बात बन जाई ।’

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘मैं नहींमेरा नहीं’ पुस्तकसे