।। श्रीहरिः ।।



आजकी शुभ तिथि–
शुद्ध ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी, वि.सं.-२०७५, रविवार
 अनन्तकी ओर     



भगवान्‌से एक ही चीज माँगो कि हे नाथ ! हे कृपासिन्धो ! मैं आपको भूलूँ नहीं’ । इसके सिवाय और कोई आवश्यकता नहीं । जितना भगवान्‌को याद रखोगे, उतना आपका स्वभाव सुधर जायगा, आचरण सुधर जायगा । आपका सब सुधर जायगा ! भगवान्‌को याद रखनेसे कपूताई मिट जाती है और सपूताई आ जाती है । भगवान्‌को याद करनेसे भी बढ़िया चीज है‒भगवान्‌के साथ अपना सम्बन्ध मानना कि मैं भगवान्‌का हूँ । सम्बन्ध अखण्ड होता है । सम्बन्ध माननेसे भगवान्‌की याद स्वतः आती है, करनी नहीं पड़ती । बिना याद किये याद आती है । मेरी माँ है‒इस प्रकार माँको मान लिया तो अब याद करनेकी जरूरत नहीं । जैसे धनी आदमीके भीतर एक गरमी रहती है कि मेरे पास इतना धन है, ऐसे ही आपके भीतर गरमी रहनी चाहिये कि मैं भगवान्‌का हूँ !

अस अभिमान जाइ जनि भोरे ।
मैं  सेवक  रघुपति  पति  मोरे ॥
                                    (मानस, अरण्य ११ । ११)

आप कैसे ही हों, इस बातको मत छोड़ो कि हम भगवान्‌के हैं । सुख आये या दुःख आये, स्वस्थ रहें या बीमार रहें, नफा हो जाय या घाटा लग जाय, पर मैं भगवान्‌का हूँ, भगवान् मेरे हैं’इस सिद्धान्तसे कभी आपका मन विचलित नहीं होना चाहिये ।

                        निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु
                         लक्ष्मीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम् ।
                        अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा
                        न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः ॥
                                (भर्तृहरिनीतिशतक)

नीति-निपुण लोग निन्दा करें अथवा स्तुति, लक्ष्मी रहे अथवा जहाँ चाहे चली जाय और मृत्यु आज ही हो जाय अथवा युगान्तरमें, अपने उद्देश्यपर दृढ़ रहनेवाले धीर पुरुष न्यायपथसे एक पग भी पीछे नहीं हटते ।’

श्रोता‒मनमें बुरे विचार आते हैं । अनेकों बार बुरे कार्य न करनेका निश्‍चय करनेके बाद भी बुरे कार्य हो जाते हैं, और इधर सुना है कि सन्त-महात्माओंके दर्शनमात्रसे पाप दूर हो जाते हैं !

स्वामीजी‒भीतरमें भाव होता है, तब पाप दूर होते हैं । भाव न हो तो दूर नहीं होते । सत्संग करनेसे और सच्छास्‍त्रोंका अध्ययन करनेसे बुरे विचार जरूर मिटते हैं ।


कल मेरे पास एक सज्जन आये थे । उन्होंने मेरेसे पूछा कि क्या आपने ईश्‍वरको देखा है ? मनुष्य अपनी पूँजी, अपना धन नहीं बताता कि वह कहाँ रखा है तो क्या ईश्‍वर धनसे भी नीची चीज है ? मैंने कहा हमारे ईश्‍वरके लिये प्रचारकी जरूरत नहीं है । आप मानो चाहे मत मानो, हमें बाधा क्या लगी ?