।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि–
श्रावण शुक्ल चतुर्थी, वि.सं.–२०७५, बुधवार
                      स्वतन्त्रता दिवस
नाम-महिमा


जैसे आगमें काठ रखो तो अंगार बनकर चमकने लगेगा । काला-से-काला कोयला आगमें रख दो तो वह भी चमकने लगेगा । पत्थरका टुकड़ा आगमें रख दो, वह भी चमकने लगेगा । कुछ भी कंकर, ठीकरी रख दो, वे सब-के-सब चमकने लगेंगे । यह क्या है ? यह आगका प्रभाव है । जब एक भौतिक वस्तुमें भी इतनी सामर्थ्य है कि वह काठ, पत्थर आदिको चमका दे तो फिर यह तो भगवान्‌का नाम है । यह भौतिक नहीं है, यह तो दिव्य है । यह नाम महाराज चेतनको चेत करा देते हैं कि तू इधर खयाल कर‒‘नाम चेतन कूं, चेत भाई नाम ते चित्त चौथे मिलाई ।’

आपलोगोंमें भी कोई नाम लेनेवाला हो तो मैं मानता हूँ कि आपके ऐसा होता होगा । आप सोते रहते हैं, गाढ़ नींदमें तो राम....ऐसी आवाज आती है, आपको जगा देती है कि अरे ! नाम लो, कैसे सोता है ? इस प्रकार नाम महाराज खुद जगाते हैं । नाम महाराज खुद चेत कराते हैं । स्वयं भगवान् चेत कराते हैं ।

एक बड़े विरक्त सन्त थे । वे नाम जपते थे । कौड़ी-पैसा लेते नहीं थे, रखते नहीं थे, छूते ही नहीं थे । वे कहते थे कि बहुत बार ऐसा होता है, जब मैं सोता हूँ तो मुझे ऐसे प्यारसे उठाते हैं, जैसे कोई माँ उठाती हो । गरदनके नीचे हाथ देकर चट उठा देते हैं । मेरेको पता ही नहीं लगता कि न जाने किसने मेरेको बैठा दिया । तो नाम महाराज भगवान्‌की याद दिलाते हैं । मैं खुद अनुमान करता हूँ, आपमें भी कोई नाम-प्रेमी है, उसके भी ऐसा होता होगा । इसमें कोई गृहस्थका कारण नहीं है, कोई साधुका कारण नहीं है, कोई भाईका कारण नहीं, कोई बहनका कारण नहीं । कोई भी भाई-बहन इसका जप करेंगे, उसके भी यह बात हो जायगी । कभी भगवान्‌की आवाज आ जाती है । आप कभी पाठ, जप करते हैं । भगवान्‌के भजनमें लगे हैं, मनमें जपनेकी लगन है और आपको कहीं नींद आने लगेगी तो किवाड़ जोरसे पड़ाकसे पटकेगा, जैसे कोई हवा आ गयी हो अथवा कोई हल्ला करेगा तो आपकी नींद खुल जायगी । कोई अचानक ऐसा शब्द होगा तो चट नींद खुल जायगी । यह तो नाम महाराज चेताते हैं, भगवान् चेत कराते हैं कि सोते कैसे हो ? नाम जपते हो कि नींद ले रहे हो ? भगवान् बड़ी भारी मेहनत करके, आपके ऊपर कृपा करके आपकी निगरानी रखते हैं, आप शरण हो तो जाओ ।


तुलसीदासजी महाराज कहते हैं‒‘बिगरी जनम अनेक की सुधरै अबहीं आजु’ अनेक जन्मोंकी बिगड़ी हुई बात, आज सुधर जाय और आज भी अभी-अभी इसी क्षण, देरीका काम नहीं, क्योंकि ‘होहि राम करे नाम जपु’ तुम रामजीके हो करके अर्थात् मैं रामजीका हूँ और रामजी मेरे हैं‒ऐसा सम्बन्ध जोड़ करके नाम जपो । पर इसमें एक शर्त है‒‘एक बानि करुनानिधान की । सो प्रिय जाकें गति न आन की ॥’ संसारमें जितने कुटुम्बी हैं, उनमें मेरा कोई नहीं है । न धन-सम्पत्ति मेरी है और न कुटुम्ब-परिवार ही मेरा है अर्थात् इनका सहारा न हो । ‘अनन्यचेताः सततम्’, ‘अनन्याश्चिन्तयन्तो माम्’