।। श्रीहरिः ।।




आजकी शुभ तिथि–
   आश्विन शुक्ल नवमी, वि.सं.-२०७४,शुक्रवार
                      श्रीदुर्गानवमी-व्रत
गुरु-विषयक प्रश्नोत्तर



      (गत ब्लॉगसे आगेका)


           प्रश्नगुरु बनानेसे वे शक्तिपात करेंगे; अतः गुरु बनाना जरुरी हुआ ?

उत्तरशक्तिपात कोई तमाशा नहीं है । वर्तमानमें शक्तिपातकी बात देखनेको तो दूर रही, पढ़नेको भी प्रायः मिलती नहीं ! एक सन्त थे । उनके पीछे एक आदमी पड़ा कि शक्तिपात कर दो । वे सन्त बोले कि शक्तिपात कोई मामूली चीज नहीं है; उसको तुम सह नहीं सकोगे, मर जाओगे । वह पीछे पड़ा रहा कि महाराज किसी तरह कर दो । सन्तने शक्तिपातका थोड़ा-सा असर डाला तो वह आदमी घबरा गया और चिल्लाने लगा कि मेरे स्त्री-पुत्र, माँ-बाप सब मिट गये ! संसार सब मिट गया ! मैं कहाँ जाऊँगा ? मेरेको बचाओ ! तात्पर्य है कि शक्तिपात करनेवाला भी मामूली नहीं होता और उसको सहनेवाला भी मामूली नहीं होता ।

प्रश्नचेला इसलिये बनाते हैं कि कोई ईसाई या मुसलमान न बने; अतः चेला बनानेमें क्या दोष है ?

उत्तरयह बिलकुल झूठी बात है ! जो ईसाई या मुसलमान बनना चाहते हैं वे गुरुके पास आयेंगे ही नहीं ! अगर चेला न बनानेके कारण कोई ईसाई या मुसलमान बन जाय तो गुरुको दोष नहीं लगेगा । परन्तु उसने चेला बनाकर उसको दूसरी जगह जानेसे रोक दिया और खुद उसका कल्याण नहीं कर सकायह दोष तो उसको लगेगा ही । चेला बनानेसे वह भगवान्‌के शरण न होकर गुरुके शरण हो गया, भगवान्‌के साथ सम्बन्ध न जोड़कर गुरुके साथ सम्बन्ध जोड़ लियायह बड़ा भारी दोष है ।

प्रश्न‘गुरु कीजै जान के, पानी पीजै छान के’ तो गुरुको जाननेका उपाय क्या है ?  गुरुकी परीक्षा कैसे करें ?

उत्तरगुरुकी परीक्षा आप नहीं कर सकते । अगर आप गुरुकी परीक्षा कर सकें तो आप गुरुके भी गुरु हो गये ! जो गुरुकी परीक्षा कर सके, वह क्या गुरुसे छोटा होगा ? परीक्षा करनेवाला तो बड़ा होता है । ऐसी स्थितिमें आपको चाहिये कि किसीको गुरु न बनाकर सत्संग-स्वाध्याय करो  और उसमें जो अच्छी बातें मिलें, उनको धारण करो । जिनका संग करनेसे परमात्मप्राप्तिकी लगन बढ़ती हो, दुर्गुण-दुराचार स्वतः दूर होते हों और सद्गुण-सदाचार स्वतः आते हों, भगवान्‌की विशेष याद आती हो, भगवान्‌पर श्रद्धा-विश्वास बढ़ते हों, बिना पूछे ही शंकाओंका समाधान हो जाता हो और जो हमसे कुछ भी लेनेकी इच्छा न रखते हों, उन सन्तोंका संग करो । उनसे गुरु-शिष्यका सम्बन्ध जोड़े बिना उनसे लाभ लो । अगर वहाँ कोई दोष दिखे, कोई गड़बड़ी मालूम दे तो वहाँसे चल दो ।

    (शेष आगेके ब्लॉगमें)
 ‒‘क्या गुरु बिना मुक्ति नहीं ?’ पुस्तकसे