।। श्रीहरिः ।।




आजकी शुभ तिथि–
  मार्गशीर्ष शुक्ल नवमी, वि.सं.-२०७४, सोमवार
    भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय



भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय

१.   भगवत्प्राप्तिकी सच्ची लगन होना

(गत ब्लॉगसे आगेका)

 (१२)

आप पापी हैं या पुण्यात्मा हैं, पढ़े-लिखे हैं या अपढ़ हैं, इस बातको भगवान् नहीं देखते । वे तो केवल आपके हृदयका भाव देखते हैं‒

रहति न प्रभु चित चूक किए की ।
करत सुरति सय बार  हिए  की ॥
                                 (मानस, बाल २९ । ३)

वे हृदयकी बातको याद रखते हैं, पहले किये पापोंको याद रखते ही नहीं ! भगवान्‌का अन्तःकरण ऐसा है, जिसमें आपके पाप छपते ही नहीं ! केवल आपकी अनन्य लालसा छपती है । भगवान् कैसे मिलें ? कैसे मिलें ? ऐसी अनन्य लालसा हो जायगी तो भगवान् जरूर मिलेंगे, इसमें सन्देह नहीं है । आप और कोई इच्छा न करके, केवल भगवान्‌की इच्छा करके देखो कि वे मिलते हैं कि नहीं मिलते हैं ! आप करके देखो तो मेरी भी परीक्षा हो जायगी कि मैं ठीक कहता हूँ कि नहीं !

(१३)

मेरा भगवान्‌में ही प्रेम हो जाय’ इस एक इच्छाको बढ़ायें । रात-दिन एक ही लगन लग जाय कि मेरा प्रभुमें प्रेम कैसे हो ? एक प्रेमके सिवाय और कोई इच्छा न रहे, दर्शनकी इच्छा भी नहीं ! इस भगवत्प्रेमकी इच्छामें बड़ी शक्ति है । इस इच्छाको बढ़ायें तो बहुत जल्दी सिद्धि हो जायगी । इस इच्छाको इतना बढ़ाये कि अन्य सब इच्छाएँ गल जायँ । केवल एक ही लालसा रह जाय कि मेरा भगवान्‌में प्रेम हो जाय’ तो इसकी सिद्धि होनेमें आठ पहर भी नहीं लगेंगे !

(१४)

परमात्माकी प्राप्ति कठिन नहीं है; क्योंकि परमात्मा कहाँ नहीं हैं ? कब नहीं हैं ? किसमें नहीं हैं  ?.......केवल उनकी इच्छाकी कमी है, और कुछ कमी नहीं है । केवल एक इच्छा हो जाय कि परमात्मा कैसे मिलें ? वे कैसे हैं‒यह देखनेकी जरूरत नहीं है । केवल उनकी आवश्यकताकी कभी विस्मृति न हो । उनकी एक इच्छा, एक लालसा करनेमें तो समय लगेगा, पर परमात्माकी प्राप्ति होनेमें समय नहीं लगेगा ।

(१५)

जैसे हम प्यासे मर रहे हैं और गंगाजी भी पासमें है, पर हम गंगाजीतक जायँ ही नहीं, उसका जल पीयें ही नहीं तो गंगाजी क्या करे ? ऐसे ही अनेक विलक्षण महात्मा हुए हैं, भगवान्‌के अनेक अवतार हुए हैं, पर हमारी मुक्ति नहीं हुई तो इसका कारण यह था कि हमने चेत नहीं किया । इसलिये अपना उद्धार करनेके लिये आपको चेत करनेकी आवश्यकता है । संसारके पदार्थ प्रारब्धसे मिलते हैं, पर परमात्माकी प्राप्ति नया काम है, जिसको आप कर सकते हैं । यह काम अपने-आप होनेवाला नहीं है, प्रत्युत लगनसे होनेवाला है । लगन नहीं होगी तो अच्छे महात्मा मिलनेपर भी आप लाभ नहीं ले सकोगे ।

  (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘लक्ष्य अब दूर नहीं !’ पुस्तकसे