।। श्रीहरिः ।।


       आजकी शुभ तिथि–
भाद्रपद शुक्ल एकादशीवि.सं.२०७७, शनिवा
भगवन्नाम


“ होहि राम को नाम जपु ”

यह सब संसार आपको धोखा देगा, आपसे विमुख हो जायगा, चला जायगा, रहेगा नहीं । शरीर भी नहीं रहेगा । इनको आप अपना कहते हैं‒यह बहुत बड़ी भारी गलती है । इनसे विमुख होकर भगवान्‌से कहें‒ ‘हे नाथ ! मैं आपका हूँ और आप मेरे हैं ।’ निहाल हो जाओगे, निहाल ।

‘होहि राम को नाम जपु’‒नाम जपना हो तो रामका होकर नाम जपो । चलते-फिरते जपो, क्योंकि हमारे प्रभुका नाम है ।

जाट भजो गूजर भजो भावे भजो अहीर ।
तुलसी रघुबर नाममें  सब काहूका सीर ॥

भाई, बहन, पढ़ा-लिखा, अपढ़, रोगी, निरोगी कोई क्यों न हो ? परमात्माके नाममें सबका अधिकार है । पिताकी सम्पत्तिमें पुत्रका पूरा अधिकार है । इस वास्ते हमारे प्रभुका नाम है । कौन मना कर सकता है ? बताइये ! हमारे माँ-बाप हैं । ऐसे भगवान्‌पर अधिकार जमा देवें ।

कलिसंतरणोपनिषद्‌में नामकी महिमा आयी है । नारदजीने ब्रह्माजीके पास जाकर कहा‒ ‘महाराज ! कलियुगमें रहते हुए संसारसे कैसे उद्धार कर लें ।’ तो ब्रह्माजी कहते हैं ‘भगवान्‌का नाम लेते हुए ।’ कौन-सा नाम ? तो कहा‒ ‘हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण  कृष्ण हरे हरे ॥’ यह नाम बताया । इसकी विधि क्या है ? ब्रह्माजीने कहा‒विधि है ही नहीं । किये जाओ, लिये जाओ । शुद्ध-अशुद्ध हर अवस्थामें । वह तो भाई उपनिषदोंका मन्त्र है । पर ‘राम-राम’ तो बड़ा सीधा और बड़ा सरल है । इसको साबर-मन्त्र कहते हैं । ‘साबर मन्त्र जाल जिन्ह सिरिजा ।’ इसमें क्या है ?
अनमिल आखर अरथ न जापू ।
प्रगट   प्रभाउ   महेस   प्रतापू ॥

साबर-मन्त्र कोई छन्दकी विधिसे नहीं बैठते, कोई मात्राओंसे नहीं बैठते । साबर-मन्त्र है, भगवान्‌ने जो कह दिया, वह मन्त्र हो गया । ऐसे भगवान्‌का नाम है, यह राम-नाम, इतना विलक्षण है ।

‘सप्तकोट्यो महामन्त्राश्चित्तविभ्रमकारकाः’

सात करोड़ बड़े-बड़े मन्त्र हैं चित्तको भ्रमित करनेवाले । ‘एक एव परो मन्त्रो राम इत्यक्षरद्वयम्’ यह दो अक्षरवाला राम-नाम बड़ा विलक्षण है । पर महान मन्त्र है ।

महामन्त्र जोइ जपत महेसू ।
कासीं  मुकुति  हेतु  उपदेसू ॥

महामन्त्रके जपते ही ईश महेश हो गये । केवल महेश हो गये नहीं, काशीमें नाम महाराजका क्षेत्र खोल दिया । कोई धान, चून देता है, कोई आटा-सीधा देता है । भगवान्‌ शंकरने मुक्तिका क्षेत्र खोल दिया । बस काशीमें जो मर जाय, मुक्त हो जाय । इस प्रकार पृथ्वीमण्डलपर मुक्तिका क्षेत्र खोला हुआ है भगवान्‌ शंकरने । किसके बलपर ? राम-नामके बलपर ।


‘कासीं मुकुति हेतु उपदेसू’ राम-नाम महान मन्त्र है । भगवान्‌ शंकर इसे जपते हैं । इस नामके प्रभावसे आपने मुक्तिका क्षेत्र खोल दिया कि सबकी मुक्ति हो जाय ।