।। श्रीहरिः ।।




आजकी शुभ तिथि
चैत्र शुक्ल तृतीया, वि.सं.२०७२, सोमवार
गणगौर
मानसमें नाम-वन्दना



(गत ब्लॉगसे आगेका)

भगवान् शंकरके साज विचित्र हैं ! भगवान् शंकरके साज अमंगल हैं, केवल इतनी ही बात नहीं है, बड़ी आफत है महाराज ! इधर तो खुदका गहना साँप है और उधर गणेशजीका वाहन चूहा है इधर आपका वाहन बैल है तो भवानीका वाहन सिंह है इस प्रकार घरमें एक-दूसरेकी कितनी कलह है, इसको तो वे ही जानें भगवान् शंकर ही निभाते हैं विरोधी-ही-विरोधी इकट्ठे हुए हैं सभी सर्प गलेमें बैठा है तो कार्तिकेयके मयूर है मयूर साँपको खाने
दौड़े तो साँप चूहेको खाने दौड़े ऐसे एक-एकके वैरी हैं यह दशा है घरमें ऐसे साज हैं अमंगलराशि ! फिर भी मंगलराशि हैं शिव-शिव कहनेसे कल्याण हो जाय, उद्धार हो जाय, मंगल हो जाय सदा ही सबके मंगल कर दे । इसमें कारण क्या है ? यह नाम महाराजकी कृपा है

सनकादि सिद्ध  मुनि जोगी
नाम प्रसाद ब्रह्मसुख भोगी
(मानस, बालकाण्ड, दोहा २६ )

शुकदेव मुनि, वही तोता जिसने अमरकथा सुनी और सनकादि सिद्ध, मुनि और योगी लोग हरदम भगवान्‌का नाम लेते हुए भगवान्के चरणोंमें ही रहते हैं सनकादि हमेशा पाँच वर्षकी बालक-अवस्थामें ही रहते हैं । ये ब्रह्माजीसे सबसे पहले प्रकट हुए सृष्टि पीछे हुई, ऐसे इतने पुराने; परंतु देखनेमें छोटे-छोटे बच्चे, चार-पाँच वर्षके । वे सदा नग्न रहनेवाले महात्माकी तरह घूमते फिरते हैं
सदैव ‘हरिः शरणम्’ ऐसे रटते रहते हैं वे नामके प्रसादसे
ब्रह्मसुख लेते हैं

नारद   जानेउ      नाम    प्रतापू
जग प्रिय हरि हरि हर प्रिय आपू
(मानस, बालकाण्ड, दोहा २६ )

संसारको तो विष्णुभगवान् प्यारे लगते हैं, वे संसारका पालन-पोषण करनेवाले हैं जैसे बालकको माँ बड़ी प्यारी लगती है ‘मात्रा समं नास्ति शरीरपोषणम्’‒ शरीरका पालन करनेमें माँके समान कोई नहीं है कोई आफत हो तो बालकको माँ याद आती है । हम भाई-बहन जितने हैं, हम सबका पालन-पोषण माँने ही किया है माँकी तरह संसारमात्रका पालन करनेवाली शक्ति (माँ) है भगवान् हरि (विष्णु) नारदजी भगवान्के नामका कीर्तन करते हैं इस नामके कारण भगवान् विष्णुको और भगवान् शंकरको भी प्यारे लगने लगे इस प्रकार सबको प्रिय लगनेवाले नारदजी महाराज हो गये

नामु जपत प्रभु कीन्ह प्रसादू
भगत  सिरोमनि भे प्रहलादू ॥
(मानस, बालकाण्ड दोहा २६ )

नाम महाराजकी कृपासे प्रह्लादजी महाराज भक्तशिरोमणि हो गये जहाँ भागवतोंको नमस्कार किया, वहाँ प्रहादजीका नाम पहले और गुरुजी‒नारदबाबाका नाम पीछे है

प्रह्लादनारदपराशरपुण्डरीक-
व्यासाम्बरीषशुकशौनकभीष्मदादाल्भ्यान्
रुक्माङ्गदार्जुनवसिष्ठविभीषणादीन्

पुण्यानिमान्परमभागवतान्स्मरामि        ॥

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘मानसमें नाम-वन्दना’ पुस्तकसे