।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
माघ कृष्ण चतुर्दशी, वि.सं.२०७३, गुरुवार
गणतंत्र दिवस
कल्याण


(गत ब्लॉगसे आगेका)

घरमें रहनेवाले सभी लोग अपनेको सेवक और दूसरोंको सेव्य समझें तो सबकी सेवा हो जायगी और सबका कल्याण हो जायगा ।
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भोगोंकी प्रियता जन्म-मरण देनेवाली और भगवान्‌की प्रियता कल्याण करनेवाली है ।
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अपना कल्याण चाहनेवाला सच्चे हृदयसे प्रार्थना करे तो भगवान्‌के दरबारमें उसकी सुनवायी जल्दी होती है ।
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किसीका भी कल्याण होता है तो उसके मूलमें किसी सन्तकी अथवा भगवान्‌की कृपा होती है ।
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संसारमें सन्त-महात्माओंकी, उपदेश देनेवालोंकी कमी नहीं है । परन्तु अपना कल्याण करनेमें खुदकी लगन, लालसा, मान्यता, श्रद्धा ही काम आती है ।
कामना
जबतक साधकमें अपने सुख, आराम, मान, बड़ाई आदिकी कामना है, तबतक उसका व्यक्तित्व नहीं मिटता और व्यक्तित्व मिटे बिना तत्त्वसे अभिन्नता नहीं होती ।
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जब हमारे अन्तःकरणमें किसी प्रकारकी कामना नहीं रहेगी, तब हमें भगवत्प्राप्तिकी भी इच्छा नहीं करनी पड़ेगी, प्रत्युत भगवान् स्वतः प्राप्त हो जायँगे ।
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संसारकी कामनासे पशुताका और भगवान्‌की कामनासे मनुष्यताका आरम्भ होता है ।
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 ‘मेरे मनकी हो जाय’इसीको कामना कहते हैं । यह कामना ही दुःखका कारण है । इसका त्याग किये बिना कोई सुखी नहीं हो सकता ।
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मुझे सुख कैसे मिले‒केवल इसी चाहनाके कारण मनुष्य कर्तव्यच्युत और पतित हो जाता है ।
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  (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘अमृतबिन्दु’ पुस्तकसे