Nov
28
भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय
१. भगवत्प्राप्तिकी सच्ची लगन होना
(गत ब्लॉगसे आगेका)
(१६)
लोगोंको परमात्मप्राप्तिमें कठिनता इसलिये मालूम देती है कि
भीतरमें असली लगन नहीं है । लगन हो तो परमात्मप्राप्ति बहुत सुगम है । लगन न हो तो
परमात्मप्राप्ति बहुत कठिन है । परमात्मप्राप्तिमें प्रारब्ध,
उद्योग, बुद्धि, विद्या, योग्यता आदिकी जरूरत नहीं है ।........सदाचारी आदमीके भीतर भी
अगर लगन नहीं है तो उसको परमात्मा नहीं मिलते । परन्तु दुराचारी आदमीके भीतर भी लगन
लग जाय तो वह परमात्माकी प्राप्ति कर सकता है । बड़े-बड़े चोर,
डाकू, कसाईके भीतर भी जब परमात्माकी लगन लग गयी तो वे परमात्माको प्राप्त
हो गये । लगन हो तो परमात्मा हरेकको प्राप्त हो सकते हैं । वे तो मिलनेके लिये तैयार
बैठे हैं ! लगन नहीं है‒इसके सिवाय परमात्मप्राप्तिमें कोई
कठिनता नहीं है । लगन हो तो सन्त-महात्मा भी मिल जायँगे,
पर लगनके बिना वे मिलते हुए भी काम नहीं आयेंगे । इसलिये आप
सच्ची लगन लगाओ । भगवान्से माँगो तो एक लगन ही माँगो । सच्चे
हृदयसे भगवान्से प्रार्थना करो कि ‘हे
नाथ ! वह लगन दो, जिससे आप प्रकट हो जाते हो’ ।
(१७)
अपना कल्याण न गुरुके अधीन है,
न सन्तोंके अधीन है और न ईश्वरके अधीन है,
यह तो स्वयंके अधीन है‒‘उद्धरेदात्मनात्मानम्’ (गीता
६ । ५) ‘अपने द्वारा अपना उद्धार करे’ । आप नहीं करोगे तो कल्याण नहीं होगा, नहीं होगा । लाखों गुरु बना लो तो भी कल्याण नहीं होगा । जब
भूख भी खुद रोटी खानेसे ही मिटती है, फिर कल्याण दूसरा कैसे करेगा
? आपकी लगनके बिना भगवान् भी आपका कल्याण नहीं कर सकते, फिर गुरु
कर देगा, महात्मा कर देगा‒इस
ठगाईमें, इस चक्करमें मत आना
। इसमें धोखा है, धोखा है
! पहले ही फँसे हुए हो, गुरु मिल
जाय तो और फँस जाओगे ! जब परमात्माके रहते हुए हमारा
कल्याण नहीं हुआ तो क्या उनसे भी तेज महात्मा आ जायगा ! दयालु, सर्वज्ञ और सर्वसमर्थ
प्रभुके रहते हुए हमारा कल्याण नहीं हुआ, फिर गुरुसे कैसे होगा
? क्या भगवान् मर गये या बीमार
हो गये या उनकी शक्ति कम हो गयी ? आपको खुदको ही लगना पड़ेगा । आप खुद लग जाओ तो गुरु,
सन्त-महात्मा, भगवान् आदि सब-के-सब आपके सहायक हो जायँगे । बच्चेको भूख न हो
तो दयालु माँ भी क्या करेगी ? आपकी लगनके बिना कौन कल्याण करेगा और कैसे करेगा
?
अनन्त युग बीत गये,
फिर भी हमारा कल्याण क्यों नहीं हुआ
? क्या भगवान्की दयालुतामें,
सर्वज्ञतामें, सर्वसमर्थतामें कोई कमी है
? क्या गुरु भगवान्से ज्यादा
दयालु, सर्वज्ञ और सर्वसमर्थ है ? जैसे अपना पतन आप खुद कर रहे हो,
दूसरा नहीं, ऐसे ही अपना उत्थान भी आपको खुद ही करना पड़ेगा,
अन्यथा परमात्माके रहते हुए आप दुःख क्यों पा रहे हो
? आपके तैयार हुए बिना कोई कल्याण
नहीं कर सकता और आप तैयार हो जाओ तो कोई बाधा नहीं दे सकता ।
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘लक्ष्य अब दूर नहीं !’ पुस्तकसे
|
|