Dec
05
भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय
१. भगवत्प्राप्तिकी सच्ची लगन होना
(गत ब्लॉगसे आगेका)
गोरखपुरकी एक घटना है । संवत् २००० से पहलेकी बात है । मैं गोरखपुरमें
व्याख्यान देता था । वहाँ सेवारामजी नामके एक सज्जन थे,
जो बैंकमें काम करते थे । एक दिन मैंने व्याख्यानमें कह दिया
कि अगर आपका दृढ़ विचार हो जाय कि भगवान् आज मिलेंगे तो वे आज ही मिल जायँगे ! उन सज्जनको
यह बात लग गयी । उन्होंने विचार कर लिया कि हमें तो आज ही भगवान्से मिलना है । वे
पुष्पमाला, चन्दन आदि ले आये कि भगवान् आयेंगे तो उनको माला पहनाऊँगा,
चन्दन चढ़ाऊँगा ! वे कमरा बन्द करके भगवान्के आनेकी प्रतीक्षामें
बैठ गये । समयपर भगवान्के आनेकी सम्भावना भी हो गयी और सुगन्ध भी आने लगी,
पर भगवान् प्रकट नहीं हुए । दूसरे दिन उन्होंने मेरेसे कहा कि
आज आप मेरे घरसे भिक्षा लें । मैं कई घरोंसे भिक्षा लेकर पाता था । उस दिन उनके घर
गया तो उन्होंने मेरेसे पूछा कि भगवान् मिलनेवाले थे,
सुगन्ध भी आ गयी थी,
फिर बाधा क्या लगी कि वे मिले नहीं
? मैंने कहा कि भाई ! मेरेको
इसका क्या पता ? परन्तु मैं तुमसे पूछता हूँ कि क्या तुम्हारे मनमें यह बात आती
थी कि इतनी जल्दी भगवान् कैसे मिलेंगे ? वे बोले कि यह बात तो आती थी ! मैंने कहा कि इसी बातने अटकाया
! अगर मनमें यह बात होती कि भगवान् मेरेको अवश्य मिलेंगे, उनको
मिलना ही पड़ेगा तो वे जरूर मिलते । भगवान् ऐसे कैसे जल्दी मिलेंगे‒ऐसा भाव करके तुमने
ही बाधा लगायी है ।
अगर आप विचार कर लें कि भगवान् आज मिलेंगे तो वे आज ही मिल जायँगे
! परन्तु मनमें यह छाया नहीं आनी चाहिये कि इतनी जल्दी कैसे मिलेंगे
? भगवान् आपके कर्मोंसे अटकते
नहीं । अगर आपके दुष्कर्मसे, पापकर्मसे भगवान् अटक जायँ तो वे मिलकर भी क्या निहाल करेंगे
? परन्तु भगवान् किसी कर्मसे
अटकते नहीं । ऐसी कोई शक्ति है ही नहीं, जो
भगवान्को मिलनेसे रोक दे । वे न तो पापकर्मोंसे अटकते हैं, न पुण्यकर्मोंसे अटकते हैं । वे सबके लिये सुलभ हैं । अगर भगवान्
हमारे पापोंसे अटक जाय तो हमारे पाप भगवान्से भी प्रबल हुए ! अगर पाप प्रबल (बलवान्)
हैं तो भगवान् मिलकर भी क्या निहाल करेंगे
? जो पापोंसे ही अटक जाय,
उसके मिलनेसे क्या लाभ
? परन्तु भगवान् इतने निर्बल
नहीं हैं, जो पापोंसे अटक जायँ । उनके समान बलवान् कोई है नहीं,
हुआ नहीं, होगा नहीं, हो सकता नहीं । आपकी जोरदार इच्छा
हो जाय तो आप कैसे ही हों, भगवान् मिलेंगे,
मिलेंगे, मिलेंगे
! उनको मिलना पड़ेगा, इसमें सन्देह नहीं है ।
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘लक्ष्य अब दूर नहीं !’ पुस्तकसे
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