भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय
(गत ब्लॉगसे आगेका)
७. भगवान्को पुकारना तथा प्रार्थना करना
(७)
‘हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं’‒इस प्रार्थनामें बड़ा भारी बल है । निरन्तर नामजप करो और थोड़ी-थोड़ी
देरमें यह प्रार्थना करते रहो । निहाल हो जाओगे ! भगवान्को
भूलूँ नहीं‒यह काम हमारा है, और सब काम भगवान्का है । आपको कुछ काम करना नहीं
पड़ेगा ।
(८)
जैसे बालक माँको मानता है,
ऐसे आप भगवान्को मान लो । इससे आपके जीवनमें फर्क पड़ेगा,
भीतरसे एक बड़ा सन्तोष होगा,
शान्ति मिलेगी । आप रात-दिन नामजप करो और भगवान्से बार-बार
कहो कि ‘हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं’
। पाँच मिनटमें, सात मिनटमें, दस मिनटमें, आधे घण्टेमें, एक घण्टेमें कहते रहो कि ‘हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं’
। एक घण्टेसे अधिक समय न निकले । निहाल हो जाओगे ! इसमें लाभ-ही-लाभ
है, हानि है ही नहीं । यह सभीके लिये बहुत बढ़िया चीज है । आपका लोक और परलोक सब सुधर
जायगा । भगवान् सुग्रीवसे कहते हैं‒
सखा सोच त्यागहु बल मोरें ।
सब बिधि घटब काज मैं तोरें ॥
(मानस, किष्किन्धा॰ ७ । ५)
इस तरह भगवान् सब काम करनेको तैयार हैं । आप विचार करके देखो,
भगवान्ने मनुष्यजन्म दिया है,
सत्संग दिया है, सत्संगमें अच्छी-अच्छी बातें दी हैं तो यह हमें उनकी कृपासे
मिला है, अपने उद्योगसे नहीं मिला है । इतना काम जिसने किया है,
वही आगे भी काम करेगा ! हमारे द्वारा
प्रार्थना किये बिना, माँगे बिना जब भगवान्ने अपने-आप इतना दिया है, तो
फिर ‘हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं’ ऐसी
प्रार्थना करनेपर क्या वे हमें छोड़ेंगे ? अपने-आप कृपा करेंगे ! जरूर कृपा करेंगे
!
(९)
हरदम भगवान्से प्रार्थना करते रहो कि ‘हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं’
। भगवान्के दर्शनके बिना हरदम बेचैनी रहे,
कहीं भी मन नहीं लगे,
कोई बात सुहाये नहीं । भगवान्के सिवाय और कोई बात याद ही नहीं
आये । वास्तवमें भगवान् हमारे भीतर हैं । उनको बार-बार ‘हे मेरे नाथ ! हे मेरे प्रभो !’ पुकारो और समझो कि भगवान् मेरे
भीतर हैं; उनसे मैं कह रहा हूँ और वे सुन रहे हैं,
मुझे देख रहे हैं । एक जन्मकी माँ
भी पुकारनेसे आ जाती है, फिर भगवान् तो सदाकी माँ हैं ! वे जरूर आयेंगे !
(१०)
हरदम ‘हे नाथ ! हे नाथ !’ कहकर भगवान्को पुकारो । संसारकी चाहनाको छोड़ना हो तो भगवान्को
पुकारो । दुर्गुणोंको छोड़ना हो तो भगवान्को पुकारो । सद्गुणोंको लाना हो तो भगवान्को
पुकारो । संसारका चिन्तन आ जाय तो भगवान्को पुकारो कि ‘हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं’
। जो होगा, भगवान्की कृपासे होगा,
अपने बलसे नहीं । बच्चेपर आफत आ जाय तो माँको पुकारनेके सिवाय
वह और क्या करे ? थोड़ा भी संसारका चिन्तन है,
आकर्षण है तो रात-दिन भगवान्को पुकारो । संसारके चिन्तनसे रहित
होते ही भगवान् अपने-आप मिल जायँगे ।
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘लक्ष्य अब दूर नहीं !’ पुस्तकसे
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