सन्निन्दासति
नामवैभवकथा
श्रीशेशयोर्भेदधी-
रश्रद्धा श्रुतिशास्त्रदैशिकगिरां नाम्न्यर्थवादभ्रमः ।
नामास्तीति निषिद्धवृत्तिविहितत्यागौ च धर्मान्तरैः
साम्यं नामजपे शिवस्य
च हरेर्नामापराधा दश ॥
भगवन्नाम-जपमें दस अपराध होते हैं । उन दस अपराधोंसे रहित होकर
हम नाम जपें । कई ऐसा कहते हैं‒
राम नाम सब कोई कहे दशरथ कहे
न कोय ।
एक बार दशरथ कहे तो कोटि यज्ञ फल होय ॥
और कई तो ‘दशरथ कहे न कोय’
की जगह ‘दशऋत कहे न कोय’
कहते हैं अर्थात् ‘दशऋत’‒दस अपराधोंसे रहित नहीं करते । साथ-साथ अपराध करते रहते हैं
। उस नामसे भी फायदा होता है । पर नाम महाराजकी शक्ति उन अपराधोंके नाश होनेमें खर्च
हो जाती है । अपराध करता है तो नाम महाराज प्रसन्न नहीं होते । वे रुष्ट होते हैं ।
ये अपराध हमारेसे न हों । इसके लिये खयाल रखें । दस अपराध बताये जाते हैं । वे इस प्रकार
हैं‒
‘सन्निन्दा’‒(१) पहला अपराध तो यह माना है कि
श्रेष्ठ पुरुषोंकी निन्दा की जाय । अच्छे-पुरुषोंकी,
भगवान्के प्यारे भक्तोंकी जो निन्दा करेंगे,
भक्तोंका अपमान करेंगे तो उससे नाम महाराज रुष्ट हो जायेंगे
। इस वास्ते किसीकी भी निन्दा न करें; क्योंकि किसीके भले-बुरेका पता नहीं लगता है ।
ऐसे-ऐसे छिपे हुए सन्त-महात्मा होते हैं कि गृहस्थ-आश्रममें
रहनेवाले, मामूली वर्णमें, मामूली आश्रममें, मामूली साधारण स्त्री-पुरुष दीखते हैं,
पर भगवान्के बड़े प्रेमी और भगवान्का नाम लेनेवाले होते हैं
। उनका तिरस्कार कर दें, अपमान कर दें, निन्दा कर दें तो कहीं भगवान्के भक्तकी निन्दा हो गयी तो नाम
महाराज प्रसन्न नहीं होंगे ।
नाम चेतन कू चेत भाई । नाम चौथे कूँ मिलाई ।
नाम चेतन है । भगवान्का नाम दूसरे नामोंकी तरह होता है,
ऐसा नहीं है । वह जड़ नहीं है,
वह चेतन है । भगवान्का श्रीविग्रह चिन्मय होता है‒‘चिदानंदमय देह तुम्हारी ।’
हमारे शरीर जड़ होते हैं,
शरीरमें रहनेवाला चेतन होता है । पर भगवान्का शरीर भी चिन्मय
होता है । उनके गहने-कपड़े आदि भी चिन्मय होते हैं । उनका नाम भी चिन्मय है । यदि ऐसे
चिन्मय नाम महाराजकी कृपा चाहते हो, उसकी मेहरबानी चाहते हो तो जो अच्छे पुरुष हैं और जो नाम लेनेवाले
हैं, उनकी निन्दा मत करो ।
‘असति नामवैभवकथा’‒(२) जो भगवन्नाम नहीं लेता, भगवान्की
महिमा नहीं जानता, भगवान्की निन्दा करता है, जिसकी
नाममें रुचि नहीं है, उसको जबरदस्ती भगवान्के नामकी महिमा मत सुनाओ ।
वह सुननेसे तिरस्कार करेगा तो नाम महाराजका अपमान होगा । वह एक अपराध बन जायगा । इस वास्ते उसके सामने भगवान्के नामकी महिमा मत कहो ।
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