प्रश्न‒बात
समझमें तो आती है, पर भीतरमें स्वीकृति नहीं होती, क्या करें ?
उत्तर‒विचार करें, आप इस बातकी स्वीकृति होना ठीक समझते हैं अथवा स्वीकृति न होना
ठीक समझते हैं ? अगर स्वीकृति होना ठीक समझते हैं तो फिर मना कौन करता है ? अगर कोई लाभकी
बात हो तो उसको जबर्दस्ती मान लेना चाहिये । मान लेनेपर फिर वह बात सुगम हो जाती
है । |