।। श्रीहरिः ।।




आजकी शुभ तिथि
मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी, वि.सं.२०७१, मंगलवार
मानसमें नाम-वन्दना



(२८ अक्टूबरके ब्लॉगसे आगेका)

‘जग पालक बिसेषि जन त्राता’‒मात्र जगत्‌का पालन करते हैं और जो भगवान्‌के भक्त होते हैं, उनकी विशेषतासे रक्षा करते हैं । ऐसा ही सन्तोंका स्वाभाव होता है और दुष्टोंका स्वाभाव कैसा होता है‒

बयरु अकारन    सब  काहू सों ।
जो कर हित अनहित ताहू सों ॥
(मानस, उत्तरकाण्ड, ३९ । ६)

          हित करनेवालेके साथ भी वे विरोध करते हैं, पर भगवान्‌के भक्त सबका हित करते हैं और अपना अहित करनेवालोंपर वे विशेष कृपा करते हैं ।

धनवत्ताका अभिमान

एक तो धनी आदमीका और दूसरे ज्यादा पढ़े-लिखे विद्वान्‌का उद्धार होना कठिन होता है । धनी आदमीके धनका और विद्वान्‌के विद्याका अभिमान आ जाता है । अभिमान सब तरहसे नुकसान करनेवाला होता है‒अभिमानद्वेषित्वाद्दैन्यप्रियत्वाच्च । श्रीगोस्वामीजी महाराजने भी कहा है‒

संसृत   मूल   सूलप्रद    नाना ।
सकल सोक दायक अभिमाना ॥
                                   (मानस, उत्तरकाण्ड, ७४ । ६)

जन्म-मरणका मूल कारण अभिमान ही है । नाना सूलप्रद‒एक तरहकी सूल नहीं, तरह-तरहकी आफत अभिमानसे होती है । धनका एवं विद्याका अभिमान होनेपर मनुष्य किसीको गिनता नहीं । धन आनेपर वह सोचता है कि बड़े-बड़े पण्डित एवं महात्मा हमारे यहाँ आते हैं और भिक्षा लेते हैं‒यह गर्मी उनके चढ़ जाती है, जो भगवान्‌की भक्ति नहीं जाग्रत् होने देती । हृदय कठोर हो जाता है । वैसे यह कोई नियम नहीं है, पर प्रायः ऐसी बात देखनेमें आती है । एक कविने विचित्र बात कही है‒

अन्ध रमा सम्बन्ध ते होत न अचरज कोय ।
कमल  नयन  नारायणहु  रहे  सर्प में सोय ॥

लक्ष्मीजीके सम्बन्धसे मनुष्य अन्धा हो जाय, इसमें कोई आश्चर्य नहीं । भगवान् पुण्डरीकाक्षकी कमलके समान बड़ी-बड़ी आँखें हैं । ऐसी आँखोंवाले भी जाकर सर्पपर सो गये । आँखें जिसके हों, वह साँपपर पैर भी नहीं रखता और वे भगवान् जाकर सो गये सर्पपर । क्या कारण ? लक्ष्मीका सम्बन्ध है । लक्ष्मीके सम्बन्धसे बड़ी-बड़ी आँखोंवाले भी अन्धे हो जाते हैं । अन्ध मूक बहरो अवश कमला नर ही करेलक्ष्मी जब आती है तो मनुष्यको अन्धा, बहरा और गूँगा बना देती है । यह इतने आश्चर्यकी बात नहीं है । आश्चर्य तो इस बातका है‒विष अनुजा मारत न, बड़ आवत अचरज एहजहर खानेसे मनुष्य मर जाय, पर यह विषकी छोटी बहन होनेपर भी मारती नहीं है । यह उसकी कृपा है, नहीं तो लक्ष्मीके आनेसे मनुष्य मर जाय; क्योंकि जहरकी वह बहन ही तो है ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘मानसमें नाम-वन्दना’ पुस्तकसे