।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि–
पौष कृष्ण द्वादशी, वि.सं.२०७१, शुक्रवार
मानसमें नाम-वन्दना

                   
                 

 (गत ब्लॉगसे आगेका)

ऐसे उन भगवान्‌का नाम रामहै और वे स्वयं नामी कहलाते हैं । दशरथके घर अवतार लेनेवाले भगवान्‌का नाम भी रामहै और रमन्ते योगिनोऽनन्ते सत्यानन्दे चिदात्मनीति रामपदेनासौ परब्रह्माभिधीयते’ ‒जो निर्गुण-निराकार रूपसे सब जगह रम रहा है, उस परमात्माका नाम भी रामहै । रामनाम सगुण और निर्गुण दोनोंका है । यह वर्णन आगे आयेगा । यहाँ तो सामान्य रीतिसे नाम और नामीकी बात गोस्वामीजी महाराज कहते हैं । भगवान्‌के नाममें रात-दिन लग जाय तो रघुनाथजी महाराजको आना पड़ता है । जैसे, बच्चा अपनी माँको पुकारे तो उसकी माँ बैठी नहीं रह सकती । उसको भागकर बच्चेको गोदमें लेना पड़ता है ।

भायँ कुभायँ  अनख  आलसहूँ ।
नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ ॥
                                                 (मानस, बालकाण्ड, दोहा २८ । १)

सादर सुमिरन  जे  नर  करहीं ।
भव बारिधि गोपद इव तरहीं ॥
                          (मानस, बालकाण्ड, दोहा ११९ । ४)

किसी तरहसे नाम लिया जाय, वह फायदा करेगा ही । पर जो आदरके सहित नाम लेता है; गहरी रीतिसे, भीतरके भावसे, प्रेमसे नाम लेता है उसका भगवान्‌पर विशेष असर पड़ता है । जैसे, गीली मिट्टीमें गौका पैर रखा हुआ हो और उसमें जल भरा हो तो उसको पार करनेमें क्या जोर आता है ? इधर-से-उधर पैर रखा और पार हुए । भगवन्नामका आदरसहित जप करनेवाला गो-पदकी तरह संसार-समुद्रको तर जाता है ।

नाम   रूप   दुइ   ईस   उपाधी ।
अकथ अनादि सुसामुझि साधी ॥
                             (मानस, बालकाण्ड, दोहा २१ । २)

नाम और रूप‒दोनों ईश्वरकी उपाधि हैं; भगवान्‌के नाम और रूप‒दोनों अनिर्वचनीय हैं, अनादि हैं । सुन्दर (शुद्ध भक्तियुक्त) बुद्धिसे ही इनका दिव्य अविनाशी स्वरूप जाननेमें आता है । भगवान्‌का स्वरूप और भगवान्‌का नाम‒ये दोनों उनकी उपाधियाँ हैं । नामका चिन्तन करो चाहे स्वरूप-चिन्तन करो, दोनों ही भगवान्‌को खींचनेवाले हैं । योगदर्शनमें भी आया है‒‘क्लेशकर्मविपाकाशयैरपरामृष्टः पुरुषविशेष ईश्वरः’ऐसे ईश्वरके लक्षण बताये । तस्य वाचकः प्रणवः’ और तज्जपस्तदर्थभावनम्’उसके नामका जप करना और उसके स्वरूपका स्मरण-चिन्तन करना । भगवान्‌के नामका जप करनेवालेको स्वाभाविक ही भगवान् प्यारे लगते हैं । क्यों प्यारे लगते हैं ? प्रभु हमारे हैं इसलिये प्यारे लगते हैं । उनके नामका जप और उनके स्वरूपका स्मरण करना चाहिये । 
   
   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘मानसमें नाम-वन्दना’ पुस्तकसे