।। श्रीहरिः ।।

आजकी शुभ तिथि
माघ कृष्ण अष्टमी, वि.सं.२०७१, मंगलवार
मानसमें नाम-वन्दना
                     

 (गत ब्लॉगसे आगेका)

रसनासे  रटबो  करे   आठुं  पहर  अभंग ।
रामदास उस सन्त का राम न छाड़े संग ॥

संत-महापुरुषोंने नामको बहुत विशेषतासे सबके लिये प्रकट कर दिया, जिससे हर कोई ले सके; परंतु लोगोंमें प्रायः एक बात हुआ करती है कि जो वस्तु ज्यादा प्रकट होती है, उसका आदर नहीं करते हैं । अतिपरिचयादवज्ञा’‒अत्यधिक प्रसिद्धि हो जानेसे उसका आदर नहीं होता । नामकी अवज्ञा करने लग जाते हैं कि कोरा राम-राम’ करनेसे क्या होता है ? राम-राम’ तो हरेक करता है । टट्टी फिरते बच्चे भी करते रहते हैं । इसमें क्या है ! ऐसे अवज्ञा कर देते हैं ।

हमारे भाई-बहनोंमें यह विचार उठता है कि हमारेको कोई विशेष साधन बताया जाय, और जब उनको कहते हैं कि ऐसे प्राणायाम करो, ऐसे बैठो, ऐसे आहार-विहार करो तो कह देंगे‒‘महाराज ! ऐसे तो हमारेसे होता नहीं, हम तो साधारण आदमी हैं, हम गृहस्थी हैं, निभता नहीं है, क्या करें ? यह तो कठिन है ।’ फिर राम-राम’ करो तो वे कहेंगे कि राम-राम’ हरेक बालक भी करते हैं । राम-राम’ में क्या है ? अब कौन-सा बढ़िया साधन बतावें ? अगर विधियाँ बतावें तो होती नहीं हमारेसे, और राम-राम तो हरेक बालक ही करता है । राम-राम’ में क्या है ! यह जवाब मिलता है । अब आप ही बताओ उनको क्या कहा जाय !

परमात्मतत्त्वसे विमुख होनेका यह एक तरहसे बढ़िया तरीका है । भगवन्नामके प्रकट हो जानेसे नाममें शक्ति कम नहीं हुई है । नाममें अपार शक्ति है और ज्यों-की-त्यों मौजूद है । इसको संतोंने हमलोगोंपर कृपा करके प्रकट कर दिया; परंतु लोगोंको यह साधारण दीखता है । नाम-जप साधारण तभीतक दीखता है, जबतक इसका सहारा नहीं लेते हैं, इसके शरण नहीं होते हैं । शरण कैसे होवें ? विधि क्या है ?

शरण लेनेकी विधि नहीं होती है । शरण लेनेकी तो आवश्यकता होती है । जैसे, चोर-डाकू आ जाये मारने-पीटने लगें, ऐसी आफतमें आ जायँ तो पुकारते हैं कि नहीं, ‘मेरी रक्षा करो, मुझे बचाओ’ ऐसे चिल्लाते हैं । कोई लाठी लेकर कुत्तेके पीछे पड़ जाय और वहाँ भागनेकी कहीं जगह नहीं हो तो बेचारा कुत्ता लाठी लगनेसे पहले ही चिल्लाने लगता है । यह चिल्लाना क्या है ? वह पुकार करता है कि मेरी रक्षा होनी चाहिये । उसके पुकारकी कोई विधि होती है क्या ? मुहूर्त होता है क्या ? हरिया बंदीवान ज्यूँ करिये कूक पुकार’

   (अपूर्ण)

‒‘मानसमें नाम-वन्दना’ पुस्तकसे